भारत में प्रत्यर्पण के डर से उत्तर पूर्वी इंग्लैंड में रहने वाला भारतीय मूल का एक डॉक्टर लंदन की एक अदालत में पेश हुआ। 75 वर्षीय मुकुल हजारिका नाम के इस शख्स पर भारत सरकार के अधिकारियों ने आरोप लगाया गया है कि वह असम के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम का अध्यक्ष है।
इंग्लैंड के काउंटी डरहम में सामान्य चिकित्सक के तौर पर काम करने वाले मुकुल पर भारत सरकार के अधिकारियों की ओर से पेश क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) ने वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में डिस्ट्रिक्ट जज माइकल स्नो को बताया कि मुकुल पर आरोप है कि उसने आतंकवादी शिविरों के आयोजन किए और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम के लिए आतंकवादियों की भर्ती की।

CPS बैरिस्टर बेन लॉयड ने प्रत्यर्पण की सुनवाई शुरू होते ही अदालत को बताया कि मुकुल पर भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने, युद्ध छेड़ने का प्रयास करने या युद्ध छेड़ने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है जो एक आतंकवादी कृत्य है। अदालत में बताया गया कि मुकुल हजारिका जिसे कथित तौर पर अभिजीत असोम के नाम से भी जाना जाता है। इसने 2016 में म्यांमार में एक शिविर में एक अलग संप्रभु राज्य बनाने के लिए सशस्त्र संघर्ष को प्रोत्साहित करने के लिए कथित तौर पर एक साथ आतंकवादी समूह से जुड़े कैडर को बतौर यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के अध्यक्ष के रूप में भाषण भी दिया था।
हालांकि हजारिका के बैरिस्टर बेन कूपर ने अदालत में ठोस सबूतों की कमी को लेकर कहा कि मुकुल से जुड़े सबूत उनको आरोपी घोषित करने में विफल हैं। कपूर ने पक्ष में यह भी कहा कि आपत्तिजनक म्यांमार के भाषण की सामग्री उपलब्ध नहीं है और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम संगठन नाम के संगठन के अध्यक्ष के रूप में मुकुल की भूमिका भी अपरिभाषित है।
बचाव पक्ष के वकील ने यह भी कहा कि भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भारत सरकार के इशारे पर मामले की जांच की है। यदि मुकुल को भारत प्रत्यर्पित किया जाता है तो उन्हें शर्तों के विपरीत सीधे जीवन भर के लिए जेल में डाल दिया जाएगा, जिसमें उन्हें पैरोल भी नहीं मिलेगी। बता दें कि पिछले साल जुलाई में यूके की प्रत्यर्पण इकाई के अधिकारियों ने मुकुल हजारिका को गिरफ्तार किया गया था हालांकि अब वह जमानत पर है। अदालत ने उसे प्रत्यर्पण से जुड़ी सुनवाई तक लंदन के एक पते पर रहने के लिए कहा है।