इनसाइडर ट्रेडिंग से की थी कमाई, दो भारतवंशियों पर गंभीर आरोप
अमेरिका में प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग (Securities and Exchange Commission) ने दो भारतीय अमेरिकियों पर कोरोना महामारी से पहले इनसाइडर ट्रेडिंग में शामिल होने का आरोप लगाया है। फाइजर के कर्मचारी रहे अमित डागर और उनके करीबी दोस्त व बिजनेस पार्टनर अतुल भिवापुरकर पर कोरोना के इलाज में काम आने वाली एक दवा की अंदरूनी जानकारी के आधार पर मुनाफा कमाने के आरोप हैं।
एसईसी की शिकायत के अनुसार अमित और अतुल पर आरोप है कि इन्होंने पैक्सलोविड दवा के क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों की अंदरूनी जानकारी के आधार पर ऑप्शन ट्रेडिंग से अवैध लाभ कमाने के लिए इनसाइडर ट्रेडिंग की।
हिल्सबोरो न्यू जर्सी में रहने वाले 44 वर्षीय डागर पैक्सलोविड दवा परीक्षण के लिए उच्चस्तरीय कार्यक्रम के प्रमुख थे। यह कार्यक्रम वैश्विक महामारी से निपटने के कंपनी के प्रयासों के तहत जुलाई 2021 में शुरू किया गया था। शिकायत में आरोप है कि पैक्सलोविड की घोषणा से एक दिन पहले, डागर ने परीक्षण से जुड़ी जानकारी उजागर कर दी।
इसके कुछ ही घंटे बाद डागर ने कथित तौर पर अल्पकालिक, आउट-ऑफ-द-मनी फाइजर कॉल ऑप्शन खरीद लिए। इसमें अगले दिन समाप्त होने वाले ऑप्शन भी थे। उन्होंने कैलिफ़ोर्निया के मिलपिटास निवासी 45 वर्षीय भिवापुरकर को भी इसके बारे में बताया। उन्होंने भी इसी तरह फाइजर में कॉल ऑप्शन की खरीदारी कर ली। एसईसी का दावा है कि इससे डागर को 214,395 डॉलर और भिवापुरकर को लगभग 60,300 डॉलर का अवैध फायदा हुआ।
एसईसी की शिकायत के आधार पर न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले की जिला अदालत में डागर और भिवापुरकर पर 1934 के प्रतिभूति विनिमय अधिनियम की धारा 10 (बी) और नियम 10 बी-5 के तहत धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है।
एक समानांतर कार्रवाई में न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले के अटॉर्नी कार्यालय ने भी डागर और भिवापुरकर के खिलाफ आपराधिक आरोपों की घोषणा की है। डागर पर प्रतिभूति धोखाधड़ी के चार मामलों का आरोप लगाया गया है जिनमें से प्रत्येक में अधिकतम 20 साल जेल की सजा का प्रावधान है। प्रतिभूति धोखाधड़ी की साजिश के मामले में अधिकतम पांच साल की सजा का नियम है।