क्या अमेरिका का हार्वर्ड सहित अन्य विश्वविद्यालय नागरिक अधिकार कानून का उल्लंघन करते हैं। विश्वविद्यालयों के सकारात्मक कार्रवाई कार्यक्रम ने एशियाई अमेरिकियों को बार-बार दंडित किया है? इनसे भारतीय-अमेरिकी छात्रों के हितों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ऐसे तमाम सवाल हैं जिसके जवाब की हर कोई प्रतीक्षा कर रहा है। दरअसल, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालयों में सकारात्मक कार्रवाई कार्यक्रमों को चुनौती देने संबंधी याचिका पर विचार करने का फैसला किया है। इस साल अक्टूबर में मामले में सुनवाई हो सकती है और अगले साल के मध्य में फैसला आने की संभावना है।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हार्वर्ड विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना (यूएनसी) के सकारात्मक कार्रवाई कार्यक्रमों को बरकरार रखने वाले निचली संघीय अदालतों के फैसलों के खिलाफ अपील पर सुनवाई करेगी। सकारात्मक कार्रवाई कार्यक्रमों को आसान भाषा में समझे तो यह एक तरह का आरक्षण ही है। इसका भारतीय संस्थानों में आरक्षण जैसा ही प्रभाव है। ऐसे में भारतीय-अमेरिकियों और अन्य एशियाई लोगों को अन्य सभी की तुलना में प्रवेश के लिए उच्च मानकों का प्रदर्शन करना पड़ता है। हार्वर्ड के खिलाफ मूल मामला लाने वालों में स्टूडेंट्स फॉर फेयर एडमिशन (एसएफएफए) की भूमिका सबसे आगे है। एसएफएफए ने दावा किया कि निजी हार्वर्ड विश्वविद्यालय का सकारात्मक कार्रवाई कार्यक्रम 1964 के नागरिक अधिकार कानून का उल्लंघन करता है। सरकार द्वारा संचालित नॉर्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय सभी के लिए कानूनों के समान संरक्षण की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन करता है।