इन राजस्थानी प्रवासी संगठनों ने उठाया बाजरा के प्रचार-प्रसार का बीड़ा

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑस्ट्रेलिया पहुंचने से पहले भारतीय प्रवासियों के दो संगठनों ने सिडनी में एक व्यापक जागरूकता अभियान शुरू करने के लिए भारत सरकार के साथ साझेदारी की है। यह अभियान छोटी बीज वाली घासों के पोषण मूल्य और दैनिक आहार में उन्हें शामिल करने को लेकर है। यह मिलेट्स (मोटा अनाज) पर प्रधानमंत्री मोदी के विजन को समर्थन करेगा।

RAJKOV और RANA इस अभियान को सिडनी में 23 मई को शुरू करेंगे।

राजस्थानी कुटुम्ब ऑफ विक्टोरिया (RAJKOV) और राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (RANA) इस अभियान को सिडनी में 23 मई को शुरू करेंगे। दरअसल अत्याधिक पौष्टिक अनाज बाजारा लंबे समय से दुनिया के कई क्षेत्रों में पारंपरिक आहार का एक अभिन्न अंग रहा है। लेकिन यह अभी भी काफी बढ़ी आबादी से दूर है। ऐसे में संगठनों का लक्ष्य इस अभियान के माध्यम से इसकी पहुंच को बढ़ाना है।

भारत के विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन एक वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान इस अभियान का पोस्टर लॉन्च किया। इस मौके पर RANA के अध्यक्ष प्रेम भंडारी और RAJKOV के अध्यक्ष रवि शर्मा सहित दोनों देशों के राजस्थानी समुदाय के सदस्य भी उपस्थित थे।

इस अभियान का पोस्टर लॉन्च करते हुए भारत के विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन।

संगठनों द्वारा संयुक्त पहल की सराहना करते हुए मंत्री ने कहा कि जागरूकता अभियान बाजरा के पोषण संबंधी लाभों के बारे में ज्ञान बढ़ाने, उनकी खेती और खपत को बढ़ावा देने के साथ-साथ इन फसलों को उगाने वाले स्थानीय किसानों का भी समर्थन करेगा।

बाजरा जागरूकता अभियान के वैश्वीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भंडारी ने कार्यक्रम के दौरान अपनी उपलब्धियों को साझा किया। उनमें बताया कि संगठन द्वारा न्यूयॉर्क स्थित रेस्तरां SAAR के प्रमुख शेफ के सहयोग से बाजरा से बनीं विभिनन वैरायटी को शुरू करने से लेकर भारत के G20 प्रेसीडेंसी के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला के साथ भी मिलेट्स का प्रचार-प्रसार भी किया गया। इसके अलावा संगठन ने जोधपुर बाजरा महोत्सव का भी आयोजन किया था।

वर्चुअल कार्यक्रम में अभियान की पहुंच के बारे में बात करते हुए शर्मा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से विशेषज्ञों, संसाधनों और नेटवर्क की मदद से अभियान व्यापक रूप लेगा। इसका उद्देश्य दुनिया भर में सरकारों, अनुसंधान संस्थानों, गैर-लाभकारी संगठनों और उपभोक्ताओं को बाजरा के स्थायी उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना भी है।

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