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अमेरिकी विश्वविद्यालयों में ‘जाति’ पर मचा है घमासान, सुप्रीम कोर्ट पर नजर

हावर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष लैरी एस ब्रेकाऊ का कहना है कि इससे हावर्ड ने 40 साल के दौरान जो कामयाबी हासिल की है, वह खतरे में पड़ जाएगी। उनका कहना है कि हमें नहीं लगता है कि ऐसा कोई तथ्य, प्रमाण है जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट कुछ अलग हटकर फैसला दे। मुझे कानून के शासन पर पूरी तरह से भरोसा है।

Photo by Clay Banks / Unsplash

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में हावर्ड विश्वविद्यालय के प्रवेश में जाति को शामिल किए जाने की समीक्षा को लेकर सुनवाई शुरू होने से पहले विश्विविद्यालय के अध्यक्ष लैरी एस ब्रेकाऊ का बयान आया है। हावर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष लैरी एस ब्रेकाऊ का कहना है कि इससे हावर्ड ने 40 साल के दौरान जो कामयाबी हासिल की है वह खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने चेताया कि इससे कॉलेज और विश्वविद्यालय अपनी आजादी खो देंगे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में नामांकन प्रक्रिया, जिसमें जाति कई अन्य पहलुओं के साथ एक पक्ष है।

उन्होंने कहा कि नामांकन की यह प्रक्रिया क्लासरूम और प्रयोगशालाओं में ज्ञान के आदान प्रदान को बढ़ावा देती है। यहां के छात्र इस सच्चाई से वाकिफ हैं। और कक्षाओं में अपने सहपाठियों के साथ संवाद में यह परिलक्षित होता है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि विविधता हमारी आंखें खोलती है और बेहतर भविष्य की ओर ले जाती है, लेकिन ‘जाति’ के पक्ष से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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