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भुल्लर बनीं न्यूयॉर्क पुलिस में सर्वोच्च रैंकिंग वाली दक्षिण एशियाई महिला

न्यूयॉर्क पुलिस विभाग में शिखर भूमिका तक पहुंचना भुल्लर के लिए आसान नहीं था। वह बताती हैं कि लोगों के बीच काम करना, अपनी हिफाजत करना और कभी-कभार लोगों के ताने सुनना। मगर इसके बावजूद आपको वह करते जाना है जो आप करना चाहते हैं।

प्रतिमा भुल्लर। Photo @twitter.com/SikhOfficers

भारतीय मूल की पुलिस अधिकारी कैप्टन प्रतिमा भुल्लर माल्डोनाडो न्यूयॉर्क पुलिस विभाग में सर्वोच्च रैंकिंग वाली दक्षिण एशियाई महिला बन गई हैं। प्रतिमा को इस पद पर हाल ही में प्रोन्नत किया गया है। उनका जन्म भारत के पंजाब राज्य में हुआ। वह 9 साल की उम्र तक पंजाब मे ही रहीं और फिर क्वींस, न्यूयॉर्क चली आईं।

प्रतिमा दक्षिण रिचमंड हिल, क्वींस में 102वें पुलिस परिसर का संचालन करती हैं। एक न्यूज चैनल ने जानकारी दी कि उन्हें पिछले महीने कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया था। उनके चार बच्चे हैं। प्रतिमा ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे घर वापसी हुई है। जब बड़ी हो रही थी तब मैंने अपने जीवन के 25 से अधिक वर्ष इसी परिसर में बिताए। साउथ रिचमंड हिल क्षेत्र में देश के सबसे बड़े सिख समुदाय का बसेरा है। जब प्रतिमा भुल्लर रिचमंड हिल के गुरुद्वारे में गईं तो उन्होने कहा कि मैं बचपन में भी यहीं आया करती थी। अब फर्क यह है कि मैं कैप्टन बन गई हूं।

प्रतिमा भुल्लर ने CBS 2 को बताया कि उनकी नई भूमिका सामुदायिक पुलिसिंग में मदद करेगी। जो लोग अंग्रेजी नहीं बोल पाते, उनके सामने भाषा की दिक्कतें है क्योंकि बाहरी लोगों के लिए अंग्रेजी दूसरी भाषा है। उन दिक्कतों को मैंने यहां पलते-बढ़ते देखा है।

न्यूयॉर्क पुलिस विभाग में शिखर भूमिका तक पहुंचना भुल्लर के लिए आसान नहीं था। वह बताती हैं कि लोगों के बीच काम करना, अपनी हिफाजत करना और कभी-कभार लोगों के ताने सुनना। मगर इसके बावजूद आपको वह करते जाना है जो आप करना चाहते हैं। बेशक यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। मैं एक बेहतर और सकारात्मक उदाहरण पेश करना चाहती हूं। केवल अपने समुदाय के लिए नहीं, अन्य महिलाओं के लिए भी। उन बच्चों के सामने भी जो रोज हमे देखते हैं। इससे उनके दृष्टिकोण में बदलाव आएगा।

न्यूयॉर्क पुलिस विभाग में 33,787 सदस्य हैं और उनमें से 10.5 प्रतिशत एशियाई हैं। भुल्लर कहती हैं कि मुझे यहां पहुंचने पर बहुत गर्व है। इस तरह आप एशियाई और दक्षिण एशियाई महिलाओं को दिखा सकते हैं कि अगर वे भी कड़ी मेहनत करेंगी तो सफलता की सीढ़ियां चढ़ती जाएंगी। भुल्लर कहती हैं कि हालांकि मेरे पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अगर होते को उन्हे मुझपर नाज होता।

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