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क्रांतिकारी सिख राजकुमारी को विशेष सम्मान, लंदन में घर बना धरोहर

सोफिया एक क्रांतिकारी सिख राजकुमारी थीं। उनका जन्म 1876 में पंजाबी शाही परिवार में हुआ था। वह सिख साम्राज्य के संस्थापक महाराजा रंजीत सिंह की पोती थीं। महारानी विक्टोरिया की धर्मपुत्री सोफिया की याद में उनके आवास फैराडे हाउस को ब्लू प्लाक प्रदान किया गया है।

सिख साम्राज्य के अंतिम शासक महाराजा दलीप सिंह की पुत्री और महारानी विक्टोरिया की धर्मपुत्री राजकुमारी सोफिया दलीप सिंह के लंदन स्थित आवास को ब्लू प्लाक से सम्मानित किया गया। ब्लू प्लाक इंग्लिश हेरिटेज चैरिटी की योजना है जिसक तहत ऐतिहासिक हस्तियों से जुड़ी इमारतों को सम्मानित किया जाता है।

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सोफिया एक क्रांतिकारी सिख राजकुमारी थीं। उनका जन्म 1876 में पंजाबी शाही परिवार में हुआ था। वह सिख साम्राज्य के संस्थापक महाराजा रंजीत सिंह की पोती थीं। सोफिया ने न सिर्फ महिलाओं के मताधिकार के लिए काम किया बल्कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सैनिकों की भी मदद की थी। भारत की आजादी की लड़ाई में भी उन्होंने योगदान दिया था। 71 साल की उम्र में अगस्त 1948 में उनका निधन हो गया था।

ब्रिटिश-भारतीय राजकुमारी की याद में फैराडे हाउस को ब्लू प्लाक प्रदान किया गया है। क्वीन विक्टोरिया ने लंदन के दक्षिण-पश्चिम में हैम्पटन कोर्ट पैलेस में सोफिया और उनकी बहनों को ये आवास दिया था। इसका नाम प्रसिद्ध अंग्रेज भौतिक विज्ञानी माइकल फैराडे के नाम पर है। राजकुमारी सोफिया चार दशक से अधिक समय तक फैराडे हाउस में ही रही थीं।

फैराडे हाउस को ब्लू प्लाक मिलने पर अनीता आनंद समेत तमाम लोगों ने खुशी जताई है। अनीता 'सोफिया: प्रिंसेस, सफ़्रागेट, रेवोल्यूशनरी' नाम से उनकी जीवनी लिखी थी। उन्होंने कहा कि सोफिया के पास सबकुछ था, मान सम्मान रुतबा धन दौलत लेकिन फिर भी उन्होंने कठिन रास्ता चुना और अपनी जिंदगी को खतरे में डाला। उन्होंने ये सब महिलाओं के अधिकारों के लिए किया। इसलिए अब उनकी धरोहर को सम्मान मिलने से मैं बहुत खुश हूं।

ब्रिटिश सिख इतिहासकार और 'सॉवरेन, स्क्वॉयर एंड रिबेल: महाराजा दलीप सिंह एंड द वारिस ऑफ द लॉस्ट किंगडम' के लेखक पीटर बैंस ने भी इस ब्लू प्लाक के लिए अभियान चलाया था। बैंस ने कहा कि जब मैं दलीप सिंह पर शोध कर रहा था, उसी दौरान मुझे राजकुमारी की कहानी पता चली। उससे पहले उन्हें कोई नहीं जानता था। ऐसा लगता था कि उनकी कहानी को इतिहास के पन्नों से मिटा दिया गया है। लेकिन अब वह एक आइकन हैं।

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