ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ के निधन पर भारत में 11 सितंबर यानी रविवार को राजकीय शोक मनाया जाएगा। भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड की महामहिम महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 8 सितंबर 2022 को निधन हो गया।
One Day State Mourning on September 11th as a mark of respect on the passing away of Her Majesty Queen Elizabeth II, United Kingdom of Great Britain and Northern Ireland
— Spokesperson, Ministry of Home Affairs (@PIBHomeAffairs) September 9, 2022
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दिवंगत गणमान्य व्यक्ति के सम्मान में भारत सरकार ने फैसला किया है कि 11 सितंबर को भारत में एक दिन का राजकीय शोक होगा। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय ध्वज पूरे देश में उन सभी भवनों पर फहराया जाएगा, जहां झंडा नियमित रूप से फहराया जाता है। मंत्रालय ने कहा कि उस दिन कोई आधिकारिक मनोरंजन नहीं होगा।

भारत के साथ महारानी एलिजाबेथ का अनोखा रिश्ता था
ब्रिटिश इतिहास की प्रसिद्ध शख्सियत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय सबसे लंबे समय तक राज करने वाली सम्राट रहीं। उन्होंने कभी भी राजशाही के पारंपरिक तरीकों का पालन नहीं किया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वह एक युवा महिला के रूप में उभरीं, जिसने देश का सम्मान जीता था क्योंकि वह शांति और समृद्धि में विश्वास रखती थीं। जुलाई 1947 में महारानी एलिजाबेथ ने फिलिप के साथ अपनी सगाई की घोषणा की और 1953 में अपने पिता की मृत्यु के बाद वह इंग्लैंड के साथ-साथ राष्ट्रमंडल देशों की रानी बन गईं।

वह 1961 में अपने पति राजा फिलिप के साथ पहली बार भारत आईं थीं। भारत में उस वक्त उनका एक विशाल और मैत्रीपूर्ण स्वागत किया गया था। इसके बाद उन्होंने 1983 और 1997 में भी भारत का दौरा किया था। महारानी की पहली भारत यात्रा बहुत महत्वपूर्ण थी क्योंकि आजादी के बाद भारत ब्रिटिश शासन से हुई क्षति से उबर रहा था। उस वक्त महारानी और उनके पति प्रिंस फिलिप ने मुंबई, चेन्नई और कोलकाता का दौरा किया था। इसके बाद वह आगरा में ताजमहल भी देखने गई थीं। इसके अलावा महारानी नई दिल्ली स्थित राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर भी श्रद्धांजलि देने पहुंची थीं। साल 1961 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने दिल्ली के रामलीला मैदान में विशाल भीड़ को भी संबोधित किया था।

जब महारानी एलिजाबेथ का राज्याभिषेक हुआ तो जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे और इस आयोजन से ठीक पहले भारत ने अपना पहला आम चुनाव किया था। उन्होंने एक बार अपने संबोधन में कहा था कि भारतीय लोगों की गर्मजोशी, भारत की समृद्धि और विविधता ही हम सभी के लिए प्रेरणा रही है।

एलिजाबेथ के सम्मान में साल 1947 में हैदराबाद के निजाम ने रानी की शादी के लिए प्रसिद्ध कार्टियर टियारा और अपनी पसंद का एक हीरे का हार भेंट किया था। रानी की दूसरी यात्रा 1983 में हुई थी। उस वक्त भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने शाही जोड़े को परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। इसके बाद उनकी तीसरी यात्रा 1997 में हुई थी। हालांकि उस वक्त महारानी की यात्रा इतनी सहज नहीं थी। दरअसल उस वक्त 50वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर महारानी का भारत में विरोध हुआ था। जलियांवाला बाग परिसर में भाषण देने की चर्चा ने पूरे देश में संघर्ष को बढ़ा दिया था। दरअसल ब्रिटिश शासन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान से जुड़ा जलियांवाला बाग का अपना खूनी इतिहास है।

यूं तो भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच संबंधों में कई बार उतार-चढ़ाव देखे गए हैं। लेकिन महारानी एलिजाबेथ के करिश्माई स्वभाव के कारण हमेशा भारत के साथ ब्रिटेन के साथ सामान्य रहे। महारानी ने एक बार बकिंघम पैलेस में भारत की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के लिए राजकीय भोज को संबोधित करते हुए कहा था कि ब्रिटेन और भारत का एक लंबा साझा इतिहास है जो आज इस नई सदी के लिए एक नई साझेदारी के निर्माण में बहुत ताकत का स्रोत है।