हिंदू मूल्यों व परंपराओं को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है यह दंपति

Pooja Salhotra

अमेरिका में हिंदू जीवन मूल्यों को जानने, उसे जीने की ललक बढ़ती जा रही है। यहां रहने वाले खासतौर पर प्रवासी भारतीय हिंदू मूल्यों और परंपराओं से अपने बच्चों को परिचित कराना चाहते हैं। इसके लिए तमाम तरह के आयोजन भी हो रहे हैं। हिंदू जीवन दर्शन को समझने और इसे आगे बढ़ाने वाले लोग सामने भी आ रहे हैं।

भारतीय मूल के दंपति सुभाष और सरोजिनी गुप्ता

इसी कड़ी में शामिल हैं भारतीय मूल के दंपति सुभाष और सरोजिनी गुप्ता। दंपति ने टेक्सास में पहले हिंदू शिविर स्थल का निर्माण शुरू करने के लिए 1.75 मिलियन डालर का दान दिया। यहां हर गर्मियों में हिंदू विरासत युवा शिविर का आयोजन किया जाएगा। शैक्षणिक शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों और कॉलेजों कर तरह हिंदू विरासत युवा शिविर में जीवन ढालने वाली शिक्षा प्रदान की जाती है।

टेक्सास के कोलंबस में 37 एकड़ की जगह पर फैला शिविर स्थल अगली गर्मियों में पूरा हो जाएगा। यहां पांच दिवसीय शिविर का आयोजन किया जाएगा। इस तरह के शिविर का आयोजन 1985 में शुरू हुआ था। ऐतिहासिक रूप से विभिन्न जगहों पर इसे आयोजित किया गया है। लेकिन आयोजकों ने कहा कि एक ऐसा स्थान ढूंढना मुश्किल हो गया था जहां भाग लेने के इच्छुक 1,200 से अधिक युवा एक साथ कार्यक्रम में हिस्सा ले सके। इसके बाद इस स्थल को चुना गया है।

सुभाष का कहना है कि पिछले कुछ दशकों में शिविर की लोकप्रियता में काफी बढ़ोतरी हुई है। यह शिविर हिंदू बच्चों को अपना आत्मविश्वास जगाने, नेतृत्व कौशल हासिल करने और हिंदू मूल्यों और परंपराओं के बारे में जानने का मौका प्रदान करता है। यहां युवा आत्मनिर्भर होना सीखते हैं। सुभाष ने कहा कि कई लोगों को शिविर में जीवनसाथी भी मिल गए हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मनीष मेहरा, भरत पललोड, ऋषि भुटाडा और निकिता मलानी शुक्ला ने की। 

शिविर में भाग लेने वालों को योग और ध्यान का भी अभ्यास करया जाता हैं। वे हिंदू दर्शन और धर्म पर कक्षाएं लेते हैं। शाम को वे नृत्य की भारतीय शैलियों का अभ्यास करते हैं, जैसे कि गरबा और रास। हिंदू धर्म का अभ्यास करने वाले सुभाष और सरोजिनी ने कहा कि वे शिविर के बारे में भावुक हैं, क्योंकि यह अगली पीढ़ी में महत्वपूर्ण मूल्यों और कौशल को विकसित करता है।

सुभाष ने कहा कि यह सबसे अच्छी चीज है जो हम अगली पीढ़ी के लिए कर सकते हैं। हम पहले से ही इस देश में युवाओं को खो रहे हैं, क्योंकि वे अपने हिंदू धर्म और मूल्य प्रणाली को संरक्षित करने में रुचि नहीं रखते हैं। इसलिए हम इसे विकसित करने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, उतना बेहतर है।

उनका कहना है कि उन्होंने इस परियोजना को धन देने का फैसला तब किया जब उन्हें निराश हिंदू युवाओं और उनके माता-पिता से कई टेक्स्ट मैसेज और फोन कॉल मिले। शिविर में आने वाले बच्चों ने कहा कि उनके सबसे अच्छे दोस्त इस शिविर से आए थे। निराश युवाओं से बात करते हुए सुभाष यह जानकर दंग रह गए कि युवाओं के लिए शिविर का अनुभव कितना महत्वपूर्ण था। सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाने वाले सुभाष यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि अन्य बच्चों को भी ऐसा ही अवसर मिले।

सुभाष ने महसूस किया कि अधिक से अधिक बच्चे शिविर में शामिल हो सके, इसका एकमात्र तरीका टेक्सास में एक हिंदू शिविर स्थल का निर्माण करना था। 2019 में सुभाष और सरोजिनी ने ह्यूस्टन हिंदू समुदाय के लोगों के समर्थन से कोलंबस में शिविर स्थल के लिए जमीन का एक टुकड़ा खरीदा, जो ह्यूस्टन से लगभग एक घंटे पश्चिम में स्थित है।

सुभाष मूल रूप से भारत में उत्तर प्रदेश के पिलखुआ के छोटे से शहर से हैं। 1971 में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से उन्होंने मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में डिग्री के साथ से स्नातक की उपाधि हासिल की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के नेवादा विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए अमेरिका आए। उन्होंने 1979 तक एक तेल कंपनी में काम किया।

सरोजिनी मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की है। सुभाष और सरोजिनी ने 1975 में शादी की। 1979 में ह्यूस्टन में बसने तक वे न्यू जर्सी और एरिजोना में रहते थे। एक इंजीनियरिंग कंपनी में काम करने के बाद सुभाष और उनकी पत्नी ने ह्यूस्टन में एक शोध प्रकाशन कंपनी की स्थापना की। दंपति के दो बच्चे श्वेता और अजीत और दो पोते-पोतियां हैं।

सुभाष भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक रहे हैं। वर्तमान में सुभाष हिंदू स्वयंसेवक संघ ग्रेटर ह्यूस्टन के अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं। वह एकल विद्यालय फाउंडेशन के सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष हैं, जो ग्रामीण भारत में शिक्षा को बढ़ावा देता है। सुभाष का कहना है कि सनातन धर्म और दूसरे की सेवा का भाव उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सीखा है।

मनीषा गांधी ने इस कार्यक्रम का आयोजन और समन्यव किया। 

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मनीष मेहरा, भरत पललोड, ऋषि भुटाडा और निकिता मलानी शुक्ला ने की। ये सभी शिविर निदेशक हैं, जो बचपन से शिविर से जुड़े रहे हैं। सुभाष ने कहा कि शिविर में शामिल लोगों का अब शिविर चलाना कार्यक्रम की सफलता का सबूत है। मनीषा गांधी द्वारा आयोजित और समन्वित इस कार्यक्रम में जीवंत नृत्य प्रदर्शन शामिल थे। श्री नटराज स्कूल ऑफ डांस की संस्थापक कुसुम शर्मा ने नृत्य कार्यक्रम की रचना की। यहां एकत्र किए गए धन के साथ
यह परियोजना अब धन जुटाने के अपने लक्ष्य से सिर्फ 400,000 डॉलर कम है।