कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के दौरान आइसोलेशन में रहने और लंबे लॉकडाउन की वजह से हमारे शरीर को काफी नुकसान पहुंचा है। हम में से कई लोगों ने शरीर में स्वास्थ्य संबंधी परिवर्तन महसूस किए होंगे और जीवनशैली से जुड़ी कुछ बीमारियों का शिकार भी हो गए होंगे। अब फिजी नेशनल यूनिवर्सिटी में एक शोध ने हमारे जीवन में फिजिकल एक्टिविटीज के महत्व पर प्रकाश डाला है।
फिजी नेशनल यूनिवर्सिटी में वहां के युवाओं पर अमेरिका और फिजी के पांच शोधार्थियों की ओर से की गई एक रिसर्च में सामने आया है कि समुद्र और ग्रामीण इलाकों जैसे प्राकृतिक परिवेश में रह रहे लोग भी अच्छा स्वास्थ्य बरकरार नहीं रख पा रहे हैं।
इस रिसर्च के सह लेखकों में भारतीय मूल के ग्लोबल पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट प्रोफेसर मनोज शर्मा, एफएनयू के डॉ. एके शिरोत्रिय, कर्क केरकोरियन स्कूल ऑफ मेडिसिन की डॉ. कविता बत्रा और दो अन्य शोधार्थी डॉ. राम लखन व डॉ. लेपानी वकाताकिरेवा शामिल हैं। डॉ. शिरोत्रिय इस रिसर्च के मुख्य लेखक और प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर हैं।
डॉ. शिरोत्रिय के अनुसार फिजिकल एक्टिविटीज यानी शारीरिक गतिविधियों की कमी ने एफएनयू के छात्रों पर अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। सर्वे के दौरान छात्रों ने जरूरी शारीरिक गतिविधियों की कमी स्वीकार की है। सर्वे के आधार पर उन्होंने कहा कि छात्रों के लिए जरूरी है कि वह रोज कम से कम 60 मिनट शारीरिक गतिविधियां करें।
उन्होंने कहा कि इसके लिए एक उचित फिजिकल एजुकेशन कोर्स की जरूरत है। प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि इस रिसर्च में मल्टी थ्योरी मॉडल का उपयोग किया गया है जो हमारे जीवन में शारीरिक स्वास्थ्य की गतिविधियों के महत्व को बताती है। यह रिसर्च फिजी की स्थानीय आबादी में स्वास्थ्य को लेकर बदल रही स्थिति पर प्रकाश डालती है।