इस शताब्दी के 21 वर्षों में बॉलीवुड में 75 से ज्यादा देशभक्ति पर आधारित फिल्में अभी तक सामने आ चुकी हैं। पहले दुश्मन के नाम पर चीन और पाकिस्तान को दिखाने वाली इस श्रेणी की फिल्मों में समय के साथ काफी बदलाव देखने को मिला है। शुरुआती दौर की बात करें तो 1960 के दशक में आई मनोज कुमार की फिल्म 'शहीद' और चेतन आनंद की 'हकीकत' को सबसे बेहतर देशभक्ति फिल्मों में से माना जाता है और आज भी इनकी कोई तुलना नहीं है। इसके बाद 1968 में रामानंद सागर की फिल्म आई 'आंखें' जो उस साल की सबसे बड़ी हिट रही थी।
वर्ष 1967 में आई फिल्म उपकार इतनी लोकप्रिय हुई थी कि फिल्म के हीरो व निर्देशक मनोज कुमार भारत के नाम से लोकप्रिय हो गए थे। 1971 में मनोज कुमार की फिल्म पूरब और पश्चिम और रोटी कपड़ा और मकान ने उस समय के सामाजिक मुद्दों को उठाया गया था। 1980 के दशक में आई मेरी आवाज सुनो, अंधा कानून और आज की आवाज जैसी फिल्मों में पहली बार राजनेताओं को भ्रष्ट छवि में दिखाया गया। इसके बाद 1980 के दशक के मध्य में आतंकवादी धमकियों पर फिल्में बनीं। ऐसी फिल्मों में कर्मा और हुकूमत का नाम आज भी उल्लेखनीय रूप से लिया जाता है।
बॉलीवुड में कुछ ऐसा रहा है देशभक्ति फिल्मों का सफर
अक्षय कुमार ने हाल के दिनों में देशभक्ति फिल्मों को एक अलग ऊंचाई दी है। एयरलिफ्ट, गोल्ड, रुस्तम जैसी फिल्में इसकी उदाहरण हैं जिन्हें लोगों ने खूब पसंद भी किया है और बताया है कि अगर स्क्रिप्ट और ट्रीटमेंट अच्छा है तो दर्शक इन्हें पसंद करते हैं।
