भारत के उत्तराखंड राज्य में एक सेवानिवृत्त दंपति ने अपने इकलौते बेटे और बहू को शादी के छह साल बाद भी बच्चा नहीं देने के लिए मुकदमा दायर किया है। उन्होंने मांग की है कि यदि उनका बेटा और बहू अगले एक साल के भीतर पोते की इच्छा पूरी नहीं करते हैं तो उन्हें 5 करोड़ रुपये का बतौर मुआवजा देना होगा। पढ़कर अजीब लग रहा होगा लेकिन इसके पीछे की सच्चाई कुछ हटकर है।

दरअसल साठ वर्षीय संजीव और उनकी 57 वर्षीय पत्नी साधना प्रसाद ने मानसिक उत्पीड़न के आधार पर यह असामान्य मुकदमा दायर किया है। प्रसाद ने शिकायत की है कि अमेरिका में अपने बेटे को शिक्षित करने के लिए यह सब खर्च करने के बाद अब उनके पास पैसा नहीं है। उन्होंने बताया कि मैंने अपने बेटे पर अपना सारा पैसा खर्च कर दिया ताकि वह अमेरिका से ट्रैनिंग ले सके। साल 2006 में मैंने उसे पायलट ट्रेनिंग कोर्स के लिए विदेश भेजा था, जिसकी कीमत 50 लाख रुपये थी। इसके अलावा उसके पालन पोषण, 5 सितारा होटल में शादी, 60 लाख रुपये की लग्जरी कार और विदेश में उसके हनीमून तक के लिए भी मैंने खर्च किया।
Haridwar, Uttarakhand | Parents move court against son&daughter-in-law, demand grandchildren/Rs 5 cr compensation.
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 11, 2022
They were wedded in 2016 in hopes of having grandchildren. We didn't care about gender, just wanted a grandchild: SR Prasad, Father pic.twitter.com/mVhk024RG3
प्रसाद ने कहा कि अब मेरे पास पैसे नहीं हैं। हमने घर बनाने के लिए बैंक से कर्ज लिया है। हम आर्थिक और व्यक्तिगत रूप से परेशान हैं। हमने अपनी याचिका में बेटे और बहू से 2.5 करोड़ रुपये की मांग की है। उन्होंने बताया कि साल 2016 में बेटे की उन्होंने शादी कर दी थी, जिसके बाद से उनका बेटा और बहू भारत में दो अलग अलग शहर में नौकरी कर रहे हैं। हमने अपनी बहू को अपनी बेटी की तरह माना। इसके बावजूद वह शायद ही कभी हमारे साथ रहती है। हमने उसे यह भी बताया कि अगर उसे अपनी नौकरी के कारण बच्चे की देखभाल करने की चिंता है तो वह हमें बच्चा दे सकती है ताकि हम उसके पालन-पोषण की देखभाल कर सकें।
प्रसाद ने कहा कि 2016 में बेटे की शादी के बाद उन्हें यह उम्मीद थी कि उनके बुढ़ापे में खेलने के लिए उनके पास एक पोता होगा लेकिन छह साल हो गए हैं और अभी तक पोते को लेकर कोई संकेत नहीं है। वहीं प्रसाद के वकील एके श्रीवास्तव ने मीडिया एजेंसी को बताया कि यह मामला समाज की सच्चाई को दर्शाता है। हम अपने बच्चों में निवेश करते हैं ताकि वह अच्छी फर्मों में काम करने सकें और अपने माता-पिता की बुनियादी वित्तीय देखभाल कर सकें। लेकिन आजकल बच्चे उन्हें ही भूल जाते हैं। बता दें कि इस मामले पर सुनवाई 17 मई को होगी। उनके बेटे और उनकी पत्नी ने अभी तक याचिका पर कोई टिप्पणी नहीं की है।