भारत सरकार ने अल उमर-मुजाहिदीन (AUM) के संस्थापक और मुख्य कमांडर मुश्ताक अहमद जरगर को भारत के गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 कानून के तहत एक आतंकवादी के रूप में नामित किया है। हालांकि सवाल इस बात पर भी उठ रहे हैं कि इस काम को करने में इतना वक्त क्यों लग गया।

मुश्ताक अहमद जरगर उन तीन आतंकवादियों में से एक था, जिसे भारत सरकार ने साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान के अपहरण में यात्रियों की सुरक्षित वापसी के बदले में रिहा किया था। यह कश्मीरी आतंकी पाकिस्तान में रहता है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि जरगर न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया भर में शांति के लिए खतरा है। जरगर अलकायदा और जैश-मोहम्मद जैसे कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों के संपर्क में है और इन समूहों के साथ उसकी निकटता है।
कौन हैं मुश्ताक अहमद जरगर और अल उमर-मुजाहिदीन (AUM)
जानकारी के अनुसार अल उमर मुजाहिदीन की स्थापना सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से जम्मू और कश्मीर को भारत से मुक्त करने के उद्देश्य से की गई थी। AUM का चीफ कमांडर मुश्ताक अहमद जरगर साल 1988 में पहली बार पाकिस्तान गया था और मई 1989 में आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में प्रशिक्षित होने के लिए फिर से पाकिस्तान चला गया था।
जरगर को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर कई हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है और उसने कथित तौर पर कश्मीरी पंडितों की हत्याओं सहित कई हत्याओं को अंजाम दिया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद के नरुल इलाके में इस संगठन का मुख्यालय है। इसके अलावा AUM को श्रीनगर, कुपवाड़ा, पुलवामा और बारामूला में सक्रिय माना जाता है।
पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के समर्थन से जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के साथ मिलकर इस समूह ने कथित तौर पर साल 2002 में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के दौरान चुनावी उम्मीदवारों पर हमला किया। संगठन ने भारत के खिलाफ संगठित हमलों को अंजाम देने के लिए खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (KLF) और अन्य आतंकी संगठनों के साथ भी काम किया है।