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हमारा पंजाब: गांव को 'गोद' लेकर अपने पिंड को समृद्ध बनाएंगे प्रवासी पंजाबी

प्रवासी पंजाबियों की मदद से राज्य के गरीबों का कल्याण करना यही है मुख मंत्री गरिमा ग्राम योजना का लक्ष्य। दरअसल सरकार एनआरआई को अपने पैतृक गांव को गोद लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

सांसदों द्वारा गांवों को गोद लिए जाने की योजना की जानकारी तो आपको होगी लेकिन क्या आपको पता है कि पंजाब में एक योजना है जिसके अंतर्गत एनआरआई/पीआईओ (पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन) भी अपने पैतृक गांव को गोद ले सकते हैं। इस योजना को मुख्यमंत्री गरिमा ग्राम योजना नाम दिया गया है जिसका उद्देश्य एनआरआई की मदद से गांवों का पुनरुद्धार करने के साथ ही वहां के वासियों की आर्थिक मदद करना है ताकि वे समाज में सम्मान से गुजर-बसर कर सकें। इस योजना को लेकर यह दृष्टिकोण रहा है कि पंजाब प्रवासियों की मदद से संघर्षरत परिवारों को सक्षम बनाया जाए और युवाओं को इस लायक बनाया जाए कि वे अपने सपनों को उड़ान दे सकें। लाभान्वितों तक कैसे पहुंचेगी मदद और कैसे होगा लाभान्वितों का चुनाव, जानते हैं इस रिपोर्ट में

NRI से ही मदद क्यों?

अब बात आती है कि सरकार को विदेश में बैठे लोगों से मदद लेने की क्यों सूझी? क्या स्थानीय लोगों से मदद नहीं ली जा सकती थी। इसके पीछे का गणित यह है कि विदेश में बसे एनआरआई स्थानीय लोगों से ज्यादा धनी हैं और दूसरा वे खुद किसी न किसी तरीके से अपने पिंड से जुड़कर रहना चाहते हैं। पंजाब सरकार ने जब यह स्कीम बनाई तो उनकी भावनाओं का ख्याल रखते हुए उनके पैतृक गांवों को ही गोद लेने का प्रावधान शामिल किया।

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