अमेरिकी टेक इंडस्ट्री में हजारों नौकरी गई, भारतीय स्टार्टअप्स का भी बुरा हाल
कोरोना वायरस वैश्विक महामारी और महंगाई के चलते आई वैश्विक मंदी के बीच इस साल अब तक अमेरिका में टेक और स्टार्टअप सेक्टर के 22 हजार से अधिक कर्मचारी नौकरी गंवा चुके हैं। इनमें से 12 हजार कर्मचारी भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में काम करते थे। यह जानकारी क्रंचबेस की एक रिपोर्ट में दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार जिन स्टार्टअप्स ने 'पैनडेमिक बूम' का फायदा मिला था अब उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वैल्यूएशन में गिरावट आने की शुरुआत हो गई है। स्टार्टअप्स का कहना है कि यह हमारे लिए बहुत मुश्किल समय क्योंकि ऐसे हालात में नई फंडिंग जुटा पाना बहुत कठिन लग रहा है।
नेटफ्लिक्स, रॉबिनहुड और कई क्रिप्टो प्लेटफॉर्म्स ने अपनी वर्कफोर्स को कम किया है। इसके अलावा क्रिप्टो से संबंधित कॉइनबेस, जेमिनी, क्रिप्टो डॉट कॉम, वॉल्ड, बाइबिट, बिटपांडा समेत कई अन्य कंपनियों ने भी अपनी वर्कफोर्स कम करने का एलान किया है। हाल ही में टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क ने भी ऐसा ही कदम उठाया था।
भारत की बात करें तो रिपोर्ट में कहा गया है कि अकेले 2022 में यहां का स्टार्टअप सेक्टर में 60 हजार से अधिक लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। ओला, ब्लिंकिट, बायजूस, अनएकेडमी, वेदांतु, कार्स24, एमपीएल, लिडो लर्निंग, एमफाइन, ट्रेल, फारआई, फरलैंको जैसे स्टार्टअप अब तक करीब 12000 लोगों को निकाल चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि 50 हजार से अधिक लोगों की नौकरियों पर संकट है और 'रिस्ट्रक्चरिंग' व 'कॉस्ट मैनेजमेंट' के नाम पर स्टार्टअप इस साल के अंत तक इन्हें निकाल सकते हैं।
चार साल में 200 से अधिक हो जाएगी यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या
उधर हुरुन रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक गतिविधियों में जारी सुस्ती के बाद भी भारत में एक अरब डॉलर से अधिक वैल्यूएशन वाली यूनिकॉर्न या स्टार्टअप कंपनियों की संख्या अगले चार साल में 200 के पार हो जाएगी। देश में ऐसी कंपनियों की संख्या फिलहाल 84 है। एक साल पहले यह आंकड़ा केवल 51 था।
इसके अलावा भारत में 122 स्टार्टअप ऐसे हैं जिनका आकार फिलहाल 20 करोड़ डॉलर से अधिक है। लेकिन अगले दो से चार साल के अंदर उनके यूनिकॉर्न बनने की पूरी संभावना है। भारतीय स्टार्टअप कंपनियों में सबसे ज्यादा पूंजी लगाने वाली उद्यम पूंजी फर्म सिकोया है। इन 122 स्टार्टअप में से 39 को सिकोया से फंडिंग मिली है।
कौन है क्रंचबेस (Crunchbase): यह अमेरिका की एक ऑनलाइन डाटाबेस कंपनी है जो निजी और सार्वजनिक कंपनियों के बारे में कारोबारी गतिविधियों की जानकारी एकत्र करती है। असल में यह वेेबसाइट स्टार्टअप को ट्रेक करती है, यानी उनकी गतिविधियों पर नजर रखती है। कंपनी उनके निवेश और धन की जानकारी, संस्थापक सदस्यों और व्यक्तियों को नेतृत्व की स्थिति, विलय और अधिग्रहण का विवरण रखती है। क्रंचबेस वेबसाइट में वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक और निजी कंपनियों की जानकारी शामिल है।