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अमेरिका की यह नामी फेलोशिप पाई इन चार भारतीय और एक पाकिस्तानी छात्रा ने

यह फेलोशिप पाने वाले भारतीय-अमेरिकियों में यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया में एमडी की पढ़ाई कर रहे ऋषि गोयल, स्टैनफोर्ड से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रहे स्यमंतक पायरा, वांडरब्लिट से न्यूरोसाइंस में पीएचडी कर रहे हरि श्रीनिवासन और हार्वर्ड में एमडी के छात्र साई राजगोपाल शामिल हैं।

पॉल एंड डेजी सोरोस फेलोशिप पाने वाले 30 आप्रवासियों और आप्रवासियों के बच्चों में इस साल चार भारतीय-अमेरिकी और एक पाकिस्तानी अमेरिकी भी शामिल हैं। यह फेलोशिप उन आप्रवासियों और आप्रवासियों के बच्चों को दी जाती है जो अमेरिका में स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। '2022 क्लास ऑफ पॉल एंड डेजी सोरोस फेलोज' के लिए इन 30 असाधारण छात्रों को 1800 से अधिक आवेदकों में से गहन समीक्षा के बाद चुना गया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया में एमडी की पढ़ाई कर रहे ऋषि गोयल।

यह फेलोशिप पाने वाले भारतीय-अमेरिकियों में यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया में एमडी की पढ़ाई कर रहे ऋषि गोयल, स्टैनफोर्ड से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रहे स्यमंतक पायरा, वांडरब्लिट से न्यूरोसाइंस में पीएचडी कर रहे हरि श्रीनिवासन और हार्वर्ड में एमडी के छात्र साई राजगोपाल शामिल हैं। इसके अलावा हार्वर्ड से फिजिक्स में पीएचडी कर रहीं पाकिस्तानी-अमेरिकी जूबिया हसन को भी इस फेलोशिप से नवाजा गया है।

पॉल एंड डेजी सोरोस फेलोशिप्स फॉर न्यू अमेरिकंस के निदेशक क्रेग हारवुड ने इस साल के विजेताओं के नामों का एलान करते हुए कहा कि आप्रवासी और शरणार्थी अमेरिका के अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा कि इस साल चुने गए 30 लोगों में अमेरिका के विकास में उल्लेखनीय योगदान देने की क्षमता है। यह फेलोशिप पाने वाले छात्रों को अपने स्नातक कार्यक्रम के लिए 90,000 डॉलर (लगभग 68 लाख रुपये) की फंडिंग मिलेगी।

यह प्रतिष्ठित फेलोशिप प्राप्त करने वाले ऋषि गोयल का जन्म एन हार्बर में हुआ था। उनके माता-पिता भारत के उत्तर प्रदेश के शहर लखनऊ से आए थे। गोयल अपने दादा से बहुत प्रभावित थे जो सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन से बायोकेमिस्ट्री में स्नातक करने बाग उन्होंने ऑक्सफोर्ड से इम्यूनोलॉजी में मास्टर्स डिग्री ली थी। इसके अलावा गोयल लैबोरेटरी ऑफ ई जॉन व्हेरी में भी रिसर्च फेलो हैं।

टेक्सास के ह्यूस्टन में पले बढ़े स्यमंतक पायरा ने गणित के सूत्र अपने दादा से सीखे थे। 

टेक्सास के ह्यूस्टन में पले बढ़े स्यमंतक पायरा ने गणित के सूत्र अपने दादा से सीखे थे जो याहू मैसेंजर पर भारत से उन्हें गणित पढ़ाते थे। अपनी दादी मां को अस्थमा से जूझते हुए देखने और छोटे भाई को ब्रेन कैंसर के चलते खोने के बाद स्यमंतक पायरा स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को प्रौद्योगिकी का उपयोग करके हल करने की कोशिशें करने में जुट गए। उन्होंने अपने पैरालिसिस ग्रस्त शिक्षक के लिए एक रोबोटिक लेग ब्रेस का निर्माण भी किया था।

तमिलभाषी साई राजगोपाल कनाडा और भारत दोनों जगह रहे हैं। उन्होंने हार्वर्ड कॉलेज से बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के साथ महिला, जेंडर और सेक्सुअलिटी पर अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने रोड्स स्कॉलरशिप पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में साउथ एशियन स्टडीज में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। कोरोना के दौरान उन्होंने ब्रिजिंग बॉर्डर्स प्रोजेक्ट की सह स्थापना की थी। यह रेडियो मंच 20 से कोविड नीतियों को साझा करने के लिए 20 से अधिक राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और वैश्विक नेताओं को एक साथ लाया।

हरि श्रीनिवासन का जन्म सैन फ्रांसिस्को बे एरिया में हुआ था। उनके माता-पिता भारतीय हैं। महज तीन साल की उम्र में श्रीनिवासन ऑटिज्म और एडीएचडी की चपेट में आ गए थे।
इससे उनकी शुरुआती पढ़ाई भी प्रभावित हुई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी कविताओं ओर रचनात्मक लेखन के लिए उन्होंने कई अवार्ड जीते। वह यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया बर्कले में सीनियर हैं और साइकोलॉजी उनका मेजर और डिसेबिलिटी स्टडीज माइनर विषय है।

पाकिस्तान के कराची में जन्मी जूबिया हसन को भी इस फेलोशिप से सम्मानित किया गया है। उनका परिवार साल 2017 में अमेरिका आया था। फेलोशिप की वेबसाइट पर उनकी प्रोफाइल के अनुसार जूबिया उस समय पाकिस्तान में थीं जब वह भीषण राजनीतिक संकट का सामना कर रहा था। 2021 में जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में फिजिक्स की पढ़ाई करने वाली जूबिया हसन इस समय हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में ही पीएचडी कर रही हैं।  

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