भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर मामला संवेदनशील है। बावजूद इसके चीन ने पैंगोंग झील के पार एक दूसरे पुल का निर्माण शुरू कर दिया है। इस मसले पर मीडिया के सवालों के जवाब में आज भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता अरिंदम बागची ने भारत का रुख स्पष्ट किया है।
बागची ने पुल के निर्माण को लेकर कहा है कि हमने चीन द्वारा पैंगोंग झील पर अपने पहले के पुल के साथ एक पुल के निर्माण की रिपोर्ट देखी है। ये दोनों पुल 1960 के दशक से चीन के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र में हैं। हमने अपने इस तरह के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है और न ही इस क्षेत्र में हमने अनुचित चीनी दावे या ऐसी निर्माण गतिविधियों को स्वीकार किया है। अरिंदम ने कहा कि हमने कई मौकों पर यह स्पष्ट किया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं और हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भारत की अखंडता, संप्रभुता और क्षेत्रीयता का सम्मान करेंगे।
Our response to media queries regarding reports of a second bridge being constructed across Pangong Lake by China:https://t.co/BenVYhKFzz pic.twitter.com/nsgF1BuXdh
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) May 20, 2022
अरिंदम ने अपने बयान में कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि देश की सुरक्षा में कोई कमी न हो इसके लिए भारत सरकार ने विशेष रूप से 2014 के बाद से सीमा के बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाई है। सड़कों और पुलों आदि का निर्माण तेज गति से किया गया है। सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में न केवल बुनियादी ढांचे के निर्माण के उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है बल्कि इस क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी सुगम बनाता है। निश्चित रूप से भारत सरकार भारत की सुरक्षा पर असर डालने वाले सभी घटनाक्रमों पर लगातार नजर बनाए रखती है और देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करती है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के लद्दाख सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध पिछले तीन साल से बना हुआ है। पैंगोंग झील के किनारे और गोगरा में सीमावर्ती सैनिकों की वापसी के बाद दोनों पक्ष राजनयिक और सैन्य वार्ता के कई दौर के बावजूद डी-एस्केलेशन में कोई प्रगति नहीं कर पाए हैं। दोनों देशों की सीमा अप्रैल-मई 2020 से एक दूसरे के लिए बंद हैं और विवाद के बाद से दोनों ही पक्षों की ओर से सीमा पर लगभग 60,000 सैनिक तैनात हैं।