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इस योजना से विदेश में रह रहे अपनों का बुढ़ापा सुरक्षित कर रहा भारत

ऑनलाइन प्रक्रिया NRI व्यक्ति के लिए भी राहत लेकर आई है। वहीं, सरकार ने NRI व्यक्ति को एक विशेष सुविधा भी दी है, अगर किसी वजह से उन्हें बीच में ही निवेश रोकना पड़ा था और उनका खाता बंद हो गया था तो वे उसे दोबारा शुरू कर पाएंगे।

Photo by Vlad Sargu / Unsplash

भारत देश में ही नहीं, विदेशों में बस गए अपने लोगों का भी बुढ़ापा सुरक्षित कर रहा है और उन्हें भी सामाजिक सुरक्षा योजना से जोड़ रहा है। उच्च शिक्षा और अच्छी नौकरी की चाहत में विदेशों में जा बसे अनिवासी भारतीय (NRI) भी ठीक उसी तरह राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) का फायदा उठा रहे हैं जैसा कि भारत में मौजूद यहां के नागरिक। शुरुआत में केवल NRI को ही इस योजना से जोड़ा गया था लेकिन आगे इस योजना को विस्तार देते हुए वर्ष 2019 में एक सर्कुलर जारी कर OCI यानी ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया को भी इसमें शामिल करने की घोषणा की गई।

रजिस्ट्रेशन से पहले समझें NPS की बारीकियां

क्या आप भी NPS योजना के लाभार्थी बनना चाहते हैं और अपने वृद्धावस्था को आर्थिक रूप से सुरक्षित करना चाहते हैं, तो सबसे पहले जरूरी है कि आप इस योजना की बारीकियों को समझ लें। राष्ट्रीय पेंशन योजना को पीपीएफ, ईपीएएफ, एफडी और म्यूचुअल फंड की तुलना सबसे सस्ता रिटायरमेंट प्लान माना जाता है। शुरुआत में सरकार ने केवल केंद्रीय कर्मचारियों को इस योजना का लाभ दिया था लेकिन बाद में हर प्रकार के सरकारी और निजी कर्मचारियों को इसका लाभार्थी बनाया गया। इसके लिए इच्छुक व्यक्ति की उम्र 18 से 60 के बीच होनी चाहिए। इसमें रिटायरमेंट के समय निवेश का 60 प्रतिशत हिस्सा निकालने का प्रावधान है और शेष 40 प्रतिशत पेंशन में योजना में चली जाती है जो कि किस्तों में लाभार्थी को मिलती है। यह पेंशन सीधे प्रवासी बुजुर्गों के बैंक खातों में पहुंच जाएगी।

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