वंचित बच्चों के लिए जीवन समर्पित किया, अब मदद को आए भारतीय प्रवासी

बात साल 2010 के आसपास की है। जब भारत में पंजाब के अमृतसर में रणबीर सिंह ने छोटे बच्चों को खेल के मैदान में धूम्रपान करते और प्रतिबंधित नशीले पदार्थों का सेवन करते देखा था। उस वक्त रणबीर की उम्र महज 20 साल की थी। लेकिन इस घटना से वह परेशान हो गए। बच्चों के भविष्य को लेकर उन्हें चिंता होने लगी। वह इन बच्चों की मदद के लिए कुछ करना चाहते थे। इस सोच ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। इन वंचित बच्चों के जीवन को बदलने के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके सेवा कार्य से प्रभावित होकर भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों ने उन्हें सहयोग करने का फैसला लिया है।

रणबीर कहते हैं कि मेरे काम से प्रभावित होकर मेरे दोस्तों ने भी मेरा साथ देना शुरू किया।

रणबीर कहते हैं कि मैंने इन बच्चों से नशीले पदार्थों के लत के गलत परिणाम के बारे में उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। इसके बाद मैंने इन बच्चों के लिए कुछ करने का फैसला कर लिया। रणबीर का कहना है कि सबसे पहले मैंने अमृतसर की मलिन बस्तियों में रहने वाले कुछ बच्चों को इकट्ठा किया और उनके साथ खेलना शुरू किया। रणबीर एक प्रशिक्षित योग चिकित्सक हैं। वह बच्चों को योग और जिमनास्टिक सिखाने लगे। एक महीने के अंदर योग करने के लिए 40 से अधिक बच्चे शामिल हो गए। उनके माता-पिता को भी यह विचार पसंद आया और वे अपने बच्चों को रणबीर के पास भेजने लगे। रणबीर कहते हैं कि मेरे काम से प्रभावित होकर मेरे दोस्तों ने भी मेरा साथ देना शुरू किया।