रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध और भारत में बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया है कि अनिवासी भारतीय यानी एनआरआई (NRI) कम पैसा जमा कर रहे हैं। आर्थिक गिरावट का मुकाबला करने की कोशिश में लगे भारत के सामने यह एक बड़ी समस्या बन गई है। दरअसल भारत का विदेशी मुद्रा भंडार जो दो साल से लगातार बढ़ रहा था वह इस साल कम हुआ है।
आरबीआई के जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच की अवधि में एनआरआई द्वारा जमा की गई रकम 7.36 बिलियन डॉलर से घटकर 3.23 बिलियन डॉलर हो गई। डेटा बताता है कि आउटस्टेंडिंग डिपोजिट में भी इस अंतराल के भीतर 2.87 बिलियन डॉलर की गिरावट देखी गई है। एक साल पहले जहां 141.89 अरब डॉलर का आउटस्टेंडिंग डिपोजिट था वह घटकर 139.03 अरब डॉलर हो गया है।
रिजर्व बैंक ने बताया कि यह पहले के परिदृश्य से बिल्कुल अलग है। एनआरआई डिपोजिट मार्च 2020 में 130.58 बिलियन डॉलर था जोकि मार्च 2021 तक बढ़कर 141.89 बिलियन डॉलर हो गया था। वित्तीय विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले वक्त में एनआरआई डिपोजिट में इजाफा वैश्विक आर्थिक स्थिति, प्रेषण और घरेलू ब्याज दरें आदि पर निर्भर करेगा।
आंकड़ें बताते हैं कि मार्च 2021 की तुलना में मार्च 2020 में फॉरेन करेंसी डिपोजिट यानी (FCNR) में भी कमी आई है। मार्च 2021 में एफसीएनआर 20.47 अरब डॉलर था जो घटकर मार्च 2022 में 16.91 अरब डॉलर हो गया है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार कुल मिलाकर भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6 मई 2022 तक घटकर 596 बिलियन डॉलर रह गया है। जबकि 2021-22 में यह 30.3 बिलियन डॉलर बढ़कर 607.3 बिलियन डॉलर हो गया था। वहीं पिछली अवधि में 2021 के मार्च तक विदेशी मुद्रा भंडार 99.2 बिलियन डॉलर से बढ़कर 577 बिलियन डॉलर हो गया था।