अपने इतिहास के सबसे भीषण आर्थिक और राजनीतिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की सरकार पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने देश को गंभीर आर्थिक और राजनीतिक संकट में डाल दिया है और वह इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं है। उन्होंने इस चुनौतीपूर्ण समय में मदद उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार का आभार जताया और यह भी कहा कि इस सरकार के शासन के दौरान देश में चीन से कोई निवेश नहीं आया है।

विक्रमसिंघे ने कहा कि ऐसा (आर्थिक संकट) हमारे समय में कभी नहीं हुआ। जब हमारी सरकार सत्ता में थी तब लोगों को सामान्य वस्तुओं के लिए लंबी-लंबी पंक्तियों में नहीं लगना पड़ता था। किसी भी देश में ऐसा नहीं होना चाहिए कि लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ जाए। लेकिन यहां गोटबाया राजपक्षे की सरकार की असफलता के चलते ऐसा ही हो रहा है। उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट के चलते राजनीतिक संकट भी बन गया है। देश में इस समय जो हो रहा है वो तबाही के बराबर है। सरकार दो साल से इस संकट के संकेतों को नजरअंदाज कर रही थी।
पूर्व प्रधानमंत्री ने आर्थिक संकट के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से संपर्क न करने के लिए भी सरकार की आचोलना की। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि सरकार के पास पर्याप्त संसाधन बचे हैं और अब वो भुगतान करने के लिए बड़ी निर्यात कंपनियों से उधार लेना चाहते हैं। ईंधन के लिए भारत से मिली विस्तारित लाइन ऑफ क्रेडिट मई के दूसरे सप्ताह तक समाप्त हो जाएगी। उन्होंने आशंका जताई कि इसके बाद श्रीलंका के लिए चुनौतियां और बढ़ जाएंगी। भारत सरकार अभी भी हमारी सहायता कर रही है और हम इसके लिए बहुत आभारी हैं।
उल्लेखनीय है कि श्रीलंका में लोगों के अंदर सरकार के प्रति भारी आक्रोश है और वे राष्ट्रपति राजपक्षे के इस्तीफे की मांग के साथ सड़कों पर उतर रहे हैं। शनिवार को ही लगभग 10 हजार लोग गाले फेस ग्रीन पार्क में जुटे थे और पूरी रात प्रदर्शन किया था। यह देश 1948 में ब्रिटेन की गुलामी से आजाद होने के बाद से अब तक के अपने सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। लोगों को भारी बिजली कटौती और आसमान छूती महंगाई का सामना करना पड़ रहा है और रोजमर्रा की वस्तुओं की भारी किल्लत के चलते घंटों तक लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है।
वहीं, जनता के भारी विरोध के बावजूद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे संकेत दे चुके हैं कि वह इस्तीफा नहीं देंगे। वह और उनके बड़े भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सत्ता पर काबिज हैं। सरकार का कहना है कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी की वजह से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को लगभग 14 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यत: पर्यटन पर आधारित है। दूसरी ओर श्रीलंका के विभिन्न विपक्षी दलों ने मौजूदा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बनाई है। विपक्ष की इस योजना को कई अन्य दलों ने भी समर्थन दिया है।