भारत में पिछले 10 दिनों में मंकीपॉक्स बीमारी के लिए तीन नमूनों की जांच की गई थी और तीनों ही निगेटिव पाए गए हैं। इसके बाद यहां अभी तक मंकीपॉक्स के एक भी मामले की पुष्टि नहीं हुई है। दुनिया के कई देशों में इस बीमारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सरकार ने भी निगरानी बढ़ाई है।
इसके तहत जांच के लिए दो सैंपल पुणे में स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की शीर्ष वायरोलॉजी लैब में भेजे गए थे। ये दोनों सैंपल हैदराबाद के थे। इसके अलावा तीसरा सैंपल गोवा से था।
केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि भारत में अभी तक किसी लैब ने मंकीपॉक्स के मामले की पुष्टि नहीं की है। एनआईवी भेजे गए सभी सैंपल निगेटिव आए हैं। अधिकारी ने कहा कि हालांकि सरकार और विशेषज्ञ इस पर नजर बनाए हुए हैं। भारत सरकार ने इसके लिए कई दिशानिर्देश भी जारी किए हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रवेश बिंदुओं पर भारत ने निगरानी बढ़ाई है। अधिकारियों से कहा गया है कि वह अफ्रीका से आने वाले ऐसे यात्रियों की जांच के बाद सैंपल एकत्र करें और पहचान करें जिनमें बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं।
महामारी का रूप नहीं लेगा मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की शीर्ष विशेषज्ञ डॉ. रोजमंड लुईस ने कहा है कि मुझे नहीं लगता यह बीमारी एक महामारी का रूप लेगी लेकिन इसके बारे में अभी बहुत कुछ जानना बाकी है। उन्होंने कहा कि एक सवाल यह है कि यह बीमारी वास्तव में किस तरह फैलती है और क्या दशकों पहले चेचक टीकाकरण पर रोक लगाए जाने के कारण किसी तरह इसका प्रसार तेज हो सकता है।
जानिए क्या है मंकीपॉक्स बीमारी
बता दें कि मंकीपॉक्स मानव चेचक के जैसी एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। यह पहली बार साल 1958 में रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला साल 1970 में दर्ज किया गया था।