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तेलंगाना के इस छोटे-से कस्बे ने 400 साल से जीवित रखी है कला की एक अद्भुत शैली

भारत के तेलंगाना में स्थित एक छोटा सा कस्बा निर्मल। यहां लकड़ी के ब्लॉक पर काले बैकग्राउंड में बनी रंगीन पेंटिंग्स काफी मशहूर हैं। इसके कलाकारों को नक्काश कहा जाता है। कई लोगों का मानना है कि इस कला का उदय काकतीय वंश के दौरान हुआ था जिसने 12वीं और 14वीं सदी के बीच शासन किया था।

लकड़ी के ब्लॉक पर काले बैकग्राउंड पर बनी रंगीन पेंटिंग्स कई हैंडीक्राफ्ट प्रेमियों के घरों में जगह बना चुकी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन बेहद खूबसूरत पेंटिंग्स की शुरुआत कहां से हुई थी? इस कला का मूल जन्मस्थान है भारत के तेलंगाना में स्थित एक छोटा सा कस्बा निर्मल। कला के इस स्वरूप को 400 साल से भी अधिक पुराना माना जाता है।

माना जाता है कि जिस मुखिया के नाम पर इस कस्बे का नामकरण हुआ था, वह इन कलाकारों को राजस्थान से लाए थे।

यहां जिला मुख्यालय का नाम भी निर्मल है। इस कला को निर्मल नाम से जाना जाता है। इसके कलाकारों को नक्काश कहा जाता है। माना जाता है कि जिस मुखिया के नाम पर इस कस्बे का नामकरण हुआ था, वह इन कलाकारों को राजस्थान से लाए थे।

हालांकि निर्मल के कलाकार समुदाय और कला का स्वरूप बेहद प्राचीन है। कई लोगों का मानना है कि इस कला का उदय काकतीय वंश के दौरान हुआ था जिसने 12वीं और 14वीं सदी के बीच शासन किया था। इसके बाद हैदराबाद के निजामों ने इस कला को संरक्षण दिया जिससे यह कला बेहद लोकप्रिय हो गई।

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