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भारत के 5G से मित्र राष्ट्र भी अपना नेटवर्क चला सकेंगे, इन्हें मिलेगी सुविधा

भारत की अत्यधिक रियायती 5जी परीक्षण सेवाएं सभी मित्र देशों के लिए खोली जाएंगी। यह प्रस्ताव दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से आया है जिन्होंने भारत को अन्य देशों के साथ तकनीकी साझेदारी में बड़ी भूमिका निभाने पर जोर दिया है।

पिछले साल पीएम मोदी ने स्वदेशी 5जी टेस्टबेड का उद्घाटन किया था। Photo by Frederik Lipfert / Unsplash

भारत के 5G टेस्टबेड का लाभ बांग्लादेश, मालदीव, श्रीलंका, नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देश और ईरान जैसे मित्र राष्ट्र भी उठा सकेंगे। अधिकारियों ने बताया कि यह तकनीक इन देशों में स्टार्टअप और सरकारी एजेंसियों को उनकी विशेष जरूरतों के अनुकूल काम करने में मदद करेगी, साथ ही 5G तकनीक का विकास करने और नवाचार में भी सक्षम बनाएगी।

भारत की अत्यधिक रियायती 5जी परीक्षण सेवाएं सभी मित्र देशों के लिए खोली जाएंगी। Photo by Frederik Lipfert / Unsplash

जानकारी के अनुसार 5जी की अत्यधिक रियायती परीक्षण सेवाएं सभी मित्र देशों के लिए खोली जाएंगी। यह प्रस्ताव भारत के दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से आया है जिन्होंने भारत को अन्य देशों के साथ तकनीकी साझेदारी में बड़ी भूमिका निभाने पर जोर दिया है। इस प्रस्ताव पर और विमर्श जल्द किया जाएगा। अन्य देशों से भी इसके लिए आवेदन करने के लिए कहा जाएगा।

5G प्रौद्योगिकी में भारत के आत्मनिर्भर बनने और 5G दूरसंचार उपकरणों के घरेलू स्तर पर निर्माण के लिहाज से स्वदेशी टेस्टबेड के विकास को मील का पत्थर माना गया है। अपनी सुविधाओं के उपयोग की अनुमति देने के भारत के इस कदम से अन्य राष्ट्रों को अपनी 5G रोल-आउट योजनाओं का विस्तार करने या मौजूदा संचार प्रौद्योगिकी को ठीक करने की अनुमति मिलेगी।

दूरसंचार विभाग (DoT) ने वर्ष 2018 में भारत में 224 करोड़ रुपये की लागत से स्वदेशी 5G टेस्टबेड स्थापित करने के लिए एक परियोजना को मंजूरी दी थी। चार साल के बाद मई, 2022 में इसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। उस समय भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के रजत जयंती समारोह में प्रधानमंत्री ने कहा था कि 5G टेस्‍टबेड आधुनिक तकनीकी की दिशा में आत्मनिर्भर होने की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम है।

5G टेस्टबेड भारत के पांच शहरों चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कानपुर और बैंगलोर में उपलब्ध है। इसे तैयार करने में आईआईटी मद्रास, दिल्ली, हैदराबाद, बॉम्बे और कानपुर के साथ ही इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ साइंस-बैंगलोर, सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च और सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन वायरलेस टेक्नोलॉजी की भी अहम भूमिका रही।

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