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वर्क फ्रॉम होम की लत, भारत में IT के 4 में 3 कर्मी दफ्तर नहीं आना चाहते

तकनीकी प्रतिभा की मांग अधिक है ऐसे में कंपनियों को आईटी कर्मियों की नौकरी छोड़ने का डर है। इसी वजह से लगभग 40 फीसदी आईटी कंपनियां हाइब्रिड मोड में काम कर रही हैं।

Photo by Dan Gold / Unsplash

वर्क फ्रॉम होम यानी घर बैठकर काम करने वाली सुविधा को खत्म करने के बाद भी भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों में काम करने वाले चार में से तीन कर्मचारी अपने संगठनों के दफ्तरों में सप्ताह में एक बार भी कार्यालय नहीं आ रहे हैं। भारत की स्टाफिंग एजेंसी CIEL एचआर द्वारा किए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है।

कई आईटी कंपनियां कथित तौर पर अपनी रिटर्न-टू-आफिस पॉलिसी पर भी आसानी से चल रही हैं क्योंकि उन्हें डर है कि जबरदस्ती करने से इस्तीफे को लाइन लग सकती है। स्टाफिंग एजेंसी CIEL ने भारत में 40 IT कंपनियों का सर्वेक्षण किया था जिनमें शीर्ष 10 कंपनियों को भी शामिल किया गया था। इस 40 IT कंपनियों में कुल 9,00,000 कर्मचारी कार्यरत हैं।

CIEL HR सर्विसेज के सीईओ आदित्य मिश्रा ने कहा कि वर्क फ्रॉम होम के बाद वर्क फ्रॉम आफिस अधिकांश कर्मचारियों के लिए मुश्किल रहा है।

CIEL HR सर्विसेज के सीईओ आदित्य मिश्रा ने कहा कि वर्क फ्रॉम होम के बाद वर्क फ्रॉम ऑफिस अधिकांश कर्मचारियों के लिए मुश्किल रहा है। CIEL द्वारा सर्वेक्षण की गई कंपनियों में 30 फीसदी कथित तौर पर वर्क फ्रॉम होम मोड में काम कर रही हैं जबकि शेष ने या तो वर्क फ्रॉम ऑफिस को फिर से शुरू कर दिया है या कर्मचारियों को जल्द ही कार्यालय में वापस लाने का इरादा है। लेकिन ये कर्मचारी अभी तक वर्क फ्रॉम होम मोड से स्विच करने के विचार के लिए तैयार नहीं हैं।

मिश्रा ने भारतीय समाचार पत्र ईटी को बताया कि तकनीकी प्रतिभा की मांग अधिक है ऐसे में कंपनियों को आईटी कर्मियों की नौकरी छोड़ने का डर है। इसी वजह से लगभग 40 फीसदी आईटी कंपनियां हाइब्रिड मोड में काम कर रही हैं। कर्मचारियों को सप्ताह में कम से कम एक-तीन दिन के लिए वे कार्यालय से काम करने के लिए कह रही हैं। इन कंपनियों ने अपने 25 फीसदी से कम कर्मचारियों को काम पर आते देखा है। कंपनियां अपेक्षा से धीमी गति से वर्क फ्रॉम होम से वर्क फ्रॉम आफिस में बदलाव का अनुभव कर रही हैं।

लगभग 30% कंपनियां जो अपेक्षाकृत छोटी हैं वे सभी कार्य दिवसों में कार्यालय में कर्मचारी चाहती हैं। मिश्रा ने कहा कि चूंकि वे आम तौर पर आकार में छोटी होती हैं इसलिए उन्हें अधिक सहयोग की आवश्यकता होती है और इसलिए वे कार्यालय लौटने पर जोर देती हैं।

वहीं इस मसले पर कंपनियां क्या कहती हैं ये भी जान लेते हैं। ईटी के अनुसार विप्रो के एक कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि केवल तीन साल की अवधि में कर्मचारी सीमा-रहित करियर की ओर बढ़ रहे हैं और कर्मचारी कहीं से भी काम कर सकते हैं। हाइब्रिड काम करने पर जोर देना विप्रो के लिए मुख्य आधार रहेगा।

ईटी के मुताबिक ग्लोबल चीफ पीपल ऑफिसर हर्षवेंद्र सोइन ने कहा कि टेक महिंद्रा में हम 'बिजनेस से पहले वेलनेस' में विश्वास करते हैं और हमारे सहयोगियों के पास कहीं से भी काम करने की सुविधा है और हम हाइब्रिड वर्किंग के इस चलन की उम्मीद करते हैं। संगठनों के कर्मचारियों को ज्यादातर यह चुनने की अनुमति है कि वे किस दिन कार्यालय से काम करना चाहते हैं।

CIEL HR सर्विसेज के सीईओ मिश्रा ने कहा कि हाइब्रिड मोड में काम करने वाली कंपनियां नई भर्तियों को स्थानांतरित करने के लिए एक से तीन महीने का समय दे रही हैं जिससे उन्हें घर से काम करने की अनुमति मिल सके।

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