भारत सरकार ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) से संबंधित कुछ नियमों में संशोधन किया है। इससे विदेशों में बसे भारतीय प्रवासियों को तो लाभ मिलेगा ही, गैर सरकारी संगठनों को भी राहत मिलेगी। संशोधन किए जाने से अब भारतीय प्रवासी भारत में बसे अपने परिवारजनों, संबंधियों और रिश्तेदारों आदि को एक साल के भीतर 10 लाख रुपये तक की राशि भेज सकते हैं। इसके लिए उन्हें भारतीय अधिकारियों को भी सूचित करने की जरूरत नहीं होगी। बता दें कि यह सीमा पहले एक लाख रुपये थी।
एक अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि यदि राशि इससे भी अधिक होती है तो भी उनके पास पहले की तरह 30 दिन के बजाय सरकार को सूचित करने के लिए अब 90 दिन होंगे। अधिसूचना में कहा गया है कि विदेशी अंशदान (विनियमन) नियम 2011 के नियम 6 में 'एक लाख रुपये' शब्दों के स्थान पर "दस लाख रुपये" शब्द किया जाएगा और 'तीस दिन' शब्दों के स्थान पर “तीन महीने” शब्द किया जाएगा। नियम 6 रिश्तेदारों से विदेशी धन प्राप्त करने की सूचना से संबंधित है।
इसमें पहले ये स्पष्ट था कि किसी भी व्यक्ति को अपने किसी रिश्तेदार से एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रुपये या उसके समकक्ष विदेशी योगदान प्राप्त करने के लिए इस तरह के योगदान की प्राप्ति से 30 दिनों के भीतर केंद्र सरकार (धन का विवरण) को सूचित करना होगा। इसी तरह सरकार ने नियम 9 में बदलाव करते हुए व्यक्तियों और संगठनों या गैर सरकारी संगठनों को बैंक खाते के बारे में गृह मंत्रालय को सूचित करने के लिए 45 दिन का समय दिया है। यह समय सीमा 30 दिन पहले थी।
इतना ही नहीं एक प्रावधान ये भी था कि एक गैर सरकारी संगठन या विदेशी धन प्राप्त करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर हर तिमाही में इस तरह के योगदान की घोषणा करनी होती थी। गृह मंत्रालय ने उसे भी समाप्त कर दिया है। इसके अलावा गृह मंत्रालय ने बैंक खाते, नाम, पता, लक्ष्य या संगठन के प्रमुख सदस्यों को विदेशी धन प्राप्त करने के मामले में गृह मंत्रालय ने पिछले 15 दिनों के बजाय अब 45 दिनों का समय दिया है।
बता दें कि गृह मंत्रालय ने नवंबर 2020 में FCRA नियमों को सख्त बना दिया था। सरकार ने स्पष्ट किया था कि जो गैर सरकारी संगठन भले ही सीधे तौर पर किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हैं लेकिन बंद, हड़ताल या सड़क जाम जैसी राजनीतिक कार्रवाई में शामिल हैं उन्हें राजनीतिक प्रकृति का माना जाएगा। इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले संगठनों में किसान संगठन, छात्र, श्रमिक संगठन और जाति-आधारित संगठन शामिल हैं।
संशोधित FCRA में सरकार ने पब्लिक सर्वेंट यानी लोक सेवकों को विदेशी धन प्राप्त करने से रोक दिया था और गैर सरकारी संगठनों के प्रत्येक पदाधिकारी के लिए आधार अनिवार्य कर दिया था। नया कानून यह भी कहता है कि विदेशी धन प्राप्त करने वाले संगठन प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए इस तरह के हासिल करने वाले 20 फीसदी से अधिक धन का उपयोग नहीं कर पाएंगे। हालांकि 2020 से पहले यह सीमा 50 फीसदी थी। कानून के मुताबिक फंड पाने वाले सभी एनजीओ को FCRA के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होता है।