साल 2001 की एक घटना ने दांतों के डॉक्टर वेद बेरानी की जिंदगी बदल दी। दंत चिकित्सा में बैचलर की डिग्री करने के बाद वेद ने भारत के मुंबई में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स के लिए आवेदन किया। लेकिन मुंबई के सरकारी कॉलेज में उनको जगह नहीं मिली। यह वेद के लिए एक बहुत बड़ा धक्का था। इसके बाद वेद बेरानी ऑस्ट्रेलिया चले गए और अपने संघर्ष से कामयाबी की इमारत तैयार की। भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई डॉक्टर वेद बेरानी और उनकी पत्नी प्रियंका सेठी बेरानी को 32वें सालाना एथनिक बिजनेस अवार्ड से नवाजा गया है।
वेद का दावा है कि 31 साल में किसी भारतीय मूल के शख्स का पहली बार इस पुरस्कार से नवाजा गया है। ऑस्ट्रेलिया में यह पुरस्कार अप्रवासी और स्थानीय उद्यमियों को उनके सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है। वेद को पुरस्कार के तौर पर 10 हजार डॉलर (करीब 8 लाख रुपये) मिले, जो उन्होंने एक सिख संस्था को दान कर दिया। दरअसल साल 2001 की मुंबई की जिस घटना ने उनकी जिंदगी बदली दी, इसे याद करते हुए वेद कहते हैं कि सामान्य श्रेणी में केवल एक ही सीट थी। लेकिन प्रतिभाशाली छात्र होने के बावजूद उन्हें जगह नहीं मिली। इससे मेरा मोहभंग हो गया। इसके बाद मैंने ऑस्ट्रेलिया जाने और वहां कुछ नया करने का मन बना लिया। बेरानी ने मोनाश विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। उन्होंने वहां बिजनेस प्रशासन में मास्टर की डिग्री हासिल की।