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वाह! न्यूयॉर्क टाइम्स की इन्वेस्टिगेशंस टीम से जुड़ीं पत्रकार मेघा राजगोपालन

चीन में उइगर मुस्लिमों को दी जा रही प्रताड़नाओं को उजागर करने वाली मेघा ने सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण किया था और बताया था कि किस तरह चीन ने लाखों की संख्या में उइगर मुसलमानों को डिटेंशन शिविरों में कैद करके रखा हुआ है। इस रिपोर्ट से उन्होंने पुलित्जर पुरस्कार अपने नाम किया था।

अमेरिकी दैनिक समाचार पत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स ने (The New York Times) एक अंतरराष्ट्रीय इन्वेस्टिगेशंस टीम की शुरूआत की है। लंदन में गठित की गई इस टीम में भारतीय-अमेरिकी पत्रकार मेघा राजगोपालन भी शामिल हैं। मेघा को पत्रकारिता जगत के सबसे बड़े पुरस्कार माने जाने वाले पुलित्जर प्राइज (Pulitzer Price) से सम्मानित किया जा चुका है।

इस टीम के गठन के साथ टाइम्स अपने अंतरराष्ट्रीय इन्वेस्टिगेशन प्रयासों को बढ़ाने और अमेरिका के बाहर इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म को बढ़ाने की विस्तारित प्रतिबद्धता है। टीम में अब तक टाइम्स स्टाफ के दो प्रख्यात इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टर और दो नए पत्रकार शामिल किए हैं। राजगोपालन व जस्टिन शेक इन्वेस्टिगेटिव करेस्पांडेंट के तौर पर जुड़े हैं।

राजगोपालन इससे पहले बजफीड के साथ काम कर रही थीं। यहां काम करते हुए उन्होंने चीनी सरकार की ओर से उइगर मुसलमानों को डिटेंशन शिविरों में दी जा रही यातनाओं को उजागर करने के लिए पुलित्जर पुरस्कार अपने नाम किया था।  बजफीड से पहले वह रायटर्स के साथ राजनीतिक संवाददाता के तौर पर जुड़ी हुई थीं।

चीन में उइगर मुस्लिमों को दी जा रही प्रताड़नाओं को उजागर करने वाली मेघा ने सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण किया था और बताया था कि किस तरह चीन ने लाखों की संख्या में उइगर मुसलमानों को डिटेंशन शिविरों में कैद करके रखा हुआ है। इस तरह के किसी शिविर का पता लगाने वाली और वहां पहुंचने वाली वह पहली पत्रकार थीं।

साल 2018 में राजगोपालन को ह्यूमन राइट्स प्रेस अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इसके एक साल बाद उन्होंने और उनके साथी ने मिरर अवार्ड जीता था। उन्हें यह अवार्ड श्रीलंका में धार्मिक हिंसा और दिग्गज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के बीच संबंधों को उजागर करने के लिए प्रदान किया गया था। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड से स्नातक राजगोपालन चीनी भाषा मंदारिन भी बोलती हैं।

दक्षिण भारत में जन्मी मेघा राजगोपालन अमेरिका में वाशिंगटन डीसी के पास स्थित मैरीलैंड में पली-बढ़ी थीं। साल 2008 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के फिलिप मेरिल कॉलेज से पत्रकारिता की पड़ाई की थी। वह बीजिंग में फुलब्राइट फेलो और वाशिंगटन में न्यू अमेरिका फाउंडेशन में रिसर्च फेलो भी रह चुकी हैं। साल 2019 में उन्हें एशिया 21 यंग लीडर भी चुना जा चुका है।

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