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शाबास! खेल को ऐसे खेला कि बदल गई दिव्यांग इंशा बशीर की जिंदगी

इंशा को 2019 में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास ने खेल के एक प्रोग्राम में भाग लेने के लिए अमेरिका बुलाया था। इंशा फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर की पढ़ाई कर रही हैं। इंशा का कहना है कि बास्केटबॉल के खेल ने उन्हें न सिर्फ नया जीवन दिया, बल्कि एक नजरिया भी दिया कि अब आगे क्या करना है।

कश्मीर के बडगाम जिले की 27 साल की इंशा बशीर को एक हादसे ने भले ही चलने-फिरने में नाकाम कर दिया। लेकिन उन्होंने जिंदगी से कभी हार नहीं मानी। हादसे के बाद इंशा को ऐसा कई बार लगा कि उनकी जिंदगी अब बेकार हो गई। वह अवसाद का शिकार हो गईं, लेकिन हिम्मत की डोर को उन्होंने कभी नहीं छोड़ा। आज इंशा एक कामयाब युवती हैं। इंशा व्हीलचेयर पर बास्केटबॉल खेलती हैं। इस खेल में उन्हें महारत हासिल है।

जम्मू-कश्मीर की व्हीलचेयर बास्केटबॉल महिला टीम के कप्तान के तौर पर वह 2019 में अमेरिका में आयोजित राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। उन्होंने 2017 में भारत के हैदराबाद शहर में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था। अपने भविष्य की योजना के बारे में इंशा का कहना है कि प्रशिक्षण और अभ्यास के अलावा उनका फोकस दिव्यांग लड़कियों को खेल से जोड़ना है। यह लक्ष्य सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लिए ही नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए है।

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