सकारात्मक रुख और जोश के साथ लोकतंत्र की राह पर बढ़ता एक गणतंत्र

आशाओं के अनुरूप भारत ने अपना 74वां गणतंत्र दिवस धूमधाम के साथ मनाया। हमेशा की तरह राजधानी दिल्ली के उत्सव में भव्यता थी। सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और विदेशों तक में भी इस राष्ट्रीय पर्व की अनुगूंज रही। एक राष्ट्र के रूप में भारत का वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण है। आने वाले दिनों में जो भी और जैसी भी चुनौतियां आएंगी, भारत उसके लिए तैयार है। भारत के लोगों का यही रवैया उनके लचीले व्यवहार का गवाह है। सही मायनों में यही लोग भारतीय संविधान के संरक्षक और अभिभावक हैं।

भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है। भारतीय नागरिक अपने पूर्वजों के संघर्ष से हासिल स्वतंत्रता की पूंजी को संजोए हुए हैं और साथ ही उन लोगों की दूरदर्शिता को भी संभाले हुए हैं जिन्होंने संवौधानिक ढांचा तैयार किया। फिर भी स्वतंत्रता, बहस और असहमति की स्थिति को लेकर चल रही इस तेजतर्रार बहस में दुख का एक पहलू यह है कि हाशिये पर बैठे चरमपंथी पिछले सात दशकों या उससे अधिक की उपलब्धियों को कमतर करने की कोशिश में लगे हैं। किंतु देश का बहुसंख्य वर्ग कट्टरता और घृणा फैलाने वालों के सामने झुकने से इनकार करता है। यह एक स्वस्थ संकेत है जो बताता है कि लोकतंत्र आगे बढ़ रहा है और पीछे मुड़कर देखने का कोई सवाल ही नहीं है।