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क्या खास राजनीतिक वजहों से अमेरिका में वीजा के मुद्दे को फिर दी जा रही है हवा?

नेशनल फाउंडेशन ऑफ अमेरिकन पॉलिसी (NFAP) की अध्ययन रिपोर्ट बताती है कि पिछले दो साल के दौरान एच-1बी वीजा जारी करने में कटौती की गई है।

Photo by Blake Guidry / Unsplash

अमेरिका में गाहे-बगाहे इस बात को मुद्दा बनाया जाता है कि एच-1 बी वीजा पर विदेशों खासकर भारत से आने वाले पेशेवर अमेरिका के युवाओं की नौकरी छीन रहे हैं। इसी कड़ी में अमेरिका की संसद में एच-1बी और एल-1 वीजा प्रणाली में सुधार के लिए सांसदों के समूह ने एक विधेयक पेश किया है। इन सांसदों का तर्क है कि इससे अमेरिकी कर्मचारियों के हितों की रक्षा होगी। उन विदेशी आउटसोर्सिंग कंपनियों पर लगाम लगेगी, जो इस वीजा कार्यक्रम का दुरुपयोग करते हुए योग्य अमेरिकियों को उच्च दक्षता वाली नौकरियों से वंचित रखते हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि वाकई में ऐसा है या राजनीतिक वजहों से इस मुद्दे को हवा दी जाती है।

अमेरिकी सरकार के आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं। Photo by Nicole Geri / Unsplash

विधेयक पेश करने वाले सांसदों ने दावा किया कि ‘एच-1बी और एल-1 वीजा सुधार विधेयक’ से धोखाधड़ी और दुरुपयोग रुकेगा। ऊंची डिग्री वाले अमेरिकी कर्मचारियों के हितों की रक्षा होगी। नई प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि देश में शिक्षित सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली छात्रों को एच-1बी के लिए वरीयता मिले। मौजूदा विधेयक 50 से अधिक कर्मचारियों वाली उन अमेरिकी कंपनियों को अतिरिक्त एच-1बी कर्मचारियों की नियुक्ति से रोकेगा, जिनमें से कम से कम आधे एच-1बी या एल-1 धारक हैं। यह विधेयक अमेरिकी सीनेट की न्यायिक समिति के अध्यक्ष डिक डार्विन और रैंकिंग सदस्य चक ग्रासली ने पेश किया है।

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