कूटनीति को एक सार्थक मौका देना होगा

यूक्रेन में चल रहा भयानक संघर्ष नौवें महीने में प्रवेश कर चुका है और जल्द ही इसका अंत होने के भी कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहे हैं। रूसी दृढ़निश्चय किए हुए हैं लेकिन यूक्रेन ने भी हिम्मत दिखाते हुए कुछ खोए हुए क्षेत्रों को वापस पा लिया है। हालांकि बढ़ते युद्ध अंतराल के बीच क्रेमलिन में बैठे नेता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कहीं ये युद्ध परमाणु युद्ध के रूप में न बदल जाए। तो वहीं कटीली तारों के दूसरी ओर बैठे व्लादिमीर पुतिन पश्चिमी देशों को परमाणु मार्ग पर जाने के अकल्पनीय परिणामों की चेतावनी दे रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि बैक चैनल स्थापित नहीं हो सकते हैं लेकिन प्राथमिक जोर पहले युद्धविराम पर होना चाहिए। Photo by Karollyne Hubert / Unsplash

लेकिन इन सबके बीच लगभग सभी कूटनीति भूल गए हैं। वो कूटनीति जो इस पागलपन को समाप्त करने के लिए जरूरी है। निश्चित रूप से 24 फरवरी को राष्ट्रपति पुतिन ने इसे विशेष सैन्य अभियान का नाम देकर शुरू किया था लेकिन फ्रांस द्वारा की कई वार्ता को छोड़ दें तो हर कोई पूर्व की इस शक्ति से खुद को ऊपर साबित करना चाहता है। और तो और कोई ऐसी विचित्र व्याख्या भी कैसे कर सकता है कि पुतिन जितना अधिक परमाणु हथियारों के उपयोग की बात करेंगे रूस के उतना ही इस मार्ग जाने की संभावना कम होगी।