करीब छह माह बाद आंदोलनकारी किसानों का दिल्ली में प्रवेश, फिलहाल शांति
कृषि कानूनों से खफा किसानों ने आज करीब छह माह बाद एक बार फिर देश की राजधानी दिल्ली में प्रवेश तो किया लेकिन उनके तेवर फिलहाल नरम रहे। जंतर-मंतर पर चलने वाले इस धरने में किसानों ने घोषणा की कि यहां उनका आंदोलन भारतीय संसद जैसा ही चलेगा। यहां वही सिस्टम अपनाया जाएगा जैसा आजकल संसद के मॉनसून सत्र में चल रहा है। किसानों के इस धरना-प्रदर्शन को लेकर इस बार सुरक्षा व्यवस्था काफी सख्त थी। पुलिस प्रशासन नहीं चाहता था कि राजधानी में किसानों का 26 जनवरी जैसा हुआ उग्र प्रदर्शन फिर से हो।
संसद की तरह अपने धरने को चलाएंगे किसान नेता
जंतर-मंतर पर किसानों का यह धरना 9 अगस्त तक चलेगा। धरने के पहले दिन आज बड़े किसान नेता राकेश टिकैत, रमिंदर सिंह पटियाला, हरमीत सिंह कादियां, मंजीत राय, सुरविंदर सिंह आदि शामिल हुए। उन्होंने घोषणा की कि इस किसान संसद का संचालन भी देश की संसद की तरह होगा। जंतर-मंतर पर रोज अलग-अलग सत्र आयोजित होंगे, जिनमें प्रश्नकाल तो होगा ही साथ ही रोज अलग-अलग नेताओं को किसान संसद के संचालन के लिए स्पीकर और डिप्टी स्पीकर भी बनाया जाएगा। उनका कहना था कि किसान संसद में तीनों नए कृषि कानूनों पर चर्चा करने के अलावा देशभर के किसानों और मजदूरों से जुड़े अन्य मुद्दों को भी उठाया जाएगा और कुछ प्रस्ताव पास उन्हें देश की संसद को भेजकर अनुरोध किया जाएगा कि वहां भी इन प्रस्तावों को पारित किया जाए।