कोहिनूर किसका? भारतीय मूल की पत्रकार ने कहा, इसे भारत को लौटा दो
यूके में भारतीय मूल की पत्रकार नरिंदर कौर ने एक टीवी बहस में कोहिनूर हीरे को भारत लौटाने पर जोर देती दिख रही हैं। इसके बाद टीवी शो चर्चा का विषय बना हुआ है। यह बहस सोशल मीडिया पर भी छाई हुई है।
The kohinoor diamond was founded in Indian soil. It represents to the British their dark brutal colonial history. They have NO BUSINESS in continuing to benefit from colonisation. The UN recognises the right of a country to reclaim its treasures. https://t.co/uL3FfoqvzC
— Narinder Kaur (@narindertweets) February 16, 2023
टीवी शो में यूके निवासी भारतीय मूल की पत्रकार नरिंदर कौर की साथी प्रसारक एम्मा वेब के साथ कोहिनूर हीरे के स्वामित्व पर बहस चल रही थी। शो के दौरान एक समय कौर वेब पर चिल्लाईं और कहा, ‘आप इतिहास नहीं जानतीं।’ आगे उन्होंने कहा, ‘यह (कोहिनूर) औपनिवेशीकरण और रक्तपात का प्रतिनिधित्व करता है... इसे भारत को वापस दे दो।’ कौर कहती हैं, मुझे समझ में नहीं आता कि एक भारतीय को क्यों इसे देखने के लिए ब्रिटेन की यात्रा करनी पड़ती है और इसके लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं।’
जैसे-जैसे ब्रिटेन के राजा चार्ल्स के राज्याभिषेक 6 जून को होने वाले है। जैसे-जैसे वह दिन नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे सवाल उठ रहे हैं कि क्या महारानी कैमिला कोहिनूर हीरे से जड़ा ताज पहनेंगी। बकिंघम पैलेस ने हाल ही में स्पष्ट किया कि वह विवादास्पद हीरा नहीं पहनेंगी। लेकिन टीवी शो में हुई बहस के बाद फिर से एक बार यह मुद्दा गरमा गया है कि क्या कोहिनूर हीरे को उसकी भूमि भारत को वापस कर देना चाहिए?
यूके के एक लोकप्रिय ब्रेकफास्ट शो पर इसी तरह की बहस वायरल हो गई है। लेखक और ब्रॉडकास्टर एम्मा वेब ने तर्क दिया है कि हीरे के स्वामित्व को लेकर विवाद हो सकता है, पर हमारे साथी प्रसारक नरिंदर कौर ने जवाब दिया कि ‘आप इतिहास नहीं जानते।’ उन्होंने वेब से कहा, ‘वह शासक लाहौर के भी शासक थे, तो क्या पाकिस्तान जाने वाले भी उस पर दावा करे? उन्होंने इसे फ़ारसी साम्राज्य से चुराया। फ़ारसियों ने मुग़ल साम्राज्य पर आक्रमण किया। इसलिए यह एक विवादित वस्तु है।’
इसी के जवाब में कौर ने कहा कि ‘आप इतिहास नहीं जानते।’ वायरल क्लिप को साझा करते हुए कौर ने ट्वीट किया, ‘कोहिनूर हीरा भारत की मिट्टी में मिला यह अंग्रेजों को उनके काले और क्रूर औपनिवेशिक इतिहास का प्रतिनिधित्व करता है। उन्हें अब उपनिवेशीकरण का लाभ नहीं लेना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र देशों को अपने खजाने पर दावा करने के अधिकार को सुरक्षित रखने की मान्यता देता है।’