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दुनिया के युवा बिशप साजू को खेल से भी है बहुत लगाव

साजू का कहना है कि उनका बचपन और किशोरावस्था भारत में बीता है। पिछले 21 साल से वह इंग्लैंड में हैं। यहां आने के बाद उन्हें केटी से प्यार हुआ और दोनों ने शादी कर ली। उन्होंने महसूस किया कि उनका जीवन इंग्लैंड में काम करने के लिए है।

एक भारतीय पादरी जिनका शुरुआती जीवन भारत के बेंगलुरु स्थित कुष्ठ रोग के अस्पताल में बीता जहां उनकी मां नर्स का काम करती थीं। रेवरेंड मलयिल लुकोस वर्गीस मुथलली (साजू) का लंदन के सेंट पॉल कैथेडर्ल चर्च का नए बिशप के रूप में जोरदार स्वागत किया गया। हालांकि उनकी नियुक्ति की घोषणा बहुत पहले की कर दी गई थी। साजू महज 42 साल की उम्र में बिशप बने हैं। वह दुनिया के सबसे कम उम्र के युवा बिशप बताए जा रहे हैं। साजू को खेल में बहुत रुचि है और वह कई मैराथन में भी भाग ले चुके हैं। औपचारिक तौर पर 5 फरवरी को वह बिशप के तौर पर जाने जाएंगे।

केरल में जन्मे साजू ने बेंगलुरु में दक्षिणी एशिया बाइबल कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने विक्लिफ हॉल, ऑक्सफोर्ड में मिनिस्ट्री के लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने ब्लैकबर्न सूबे में सेंट थॉमस, लैंकेस्टर में अपनी सेवा दी, जिसके बाद 2009 में इंग्लैंड के चर्च में उन्हें पादरी नियुक्त किया गया। बिशप बनने से पहले वह दक्षिणी इंग्लैंड के रोचेस्टर में स्थित सेंट मार्क गिलिंगम चर्च के पादरी थे। साजू की नियुक्ति को एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा अनुमोदित किया गया है।

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