जब यूरोपीय देशों के मातृभाषा प्रेम और सिविक सेंस से प्रभावित हुए थे उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू

भारत के उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू दो साल पहले 17-21 अगस्त 2019 के बीच तीन यूरोपीय देशों की यात्रा पर आए थे। लिथूआनिया, लातविया और इस्टोनिया की पांच दिवसीय यात्रा के दौरान उनके मानस पटल पर यहाँ के भाषा प्रेम और सिविक सेंस ने ऐसी गहरी छाप छोड़ी कि वे अपने संबोधनों में इसका ज़िक्र करने से खुद को नहीं रोक सके। उन्होंने प्रवासी भारतीयों को भी अपनी भाषा से प्रेम करने और यहाँ के बेहतरीन सिविक सेंस को अपनाने का संदेश दिया था।

लातविया की राजधानी रीगा में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए उन्होंने इसका ज़िक्र किया। उनका कहना था कि जब तक सरकार के किसी अभियान को सफल बनाने में आमजन की भागीदारी नहीं होगी उसे सही मुक़ाम तक पहुँचाना मुश्किल है। फिर चाहे बात साफ़ सफ़ाई, पर्यावरण या शिक्षा की क्यों न हो। वे भारत के स्वच्छता अभियान, जल संचय, वृक्षारोपण और बेटी बचावो, बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों के संदर्भ में इसका उल्लेख कर रहे थे।

उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू। फोटो क्रेडिट- https://twitter.com/VPSecretariat/