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जानिए भारत और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की कहानी

भारत अपनी स्थापना के समय से ही विभिन्न अवसरों पर संयुक्त राष्ट्र में काफी योगदान दिया है। हालांकि भारत को यूएनएससी में एक परमानेंट सीट देने का सवाल अब भी है। भारत इसके लिए आशावादी है लेकिन देखना होगा कि यह कब हासिल होता है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र (UN) के सबसे महत्वपूर्ण संगठनों में से एक है। यह दुनियाभर में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसके पांच परमानेंट मेंबर (स्थाई सदस्य) हैं, जिनमें यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, रूस और चीन हैं। इसके स्थाई सदस्यों को स्पेशल वीटो पावर (power of veto) दी गई है। यूएनएससी के 10 अस्थाई सदस्य (नॉन-परमानेंट) हैं, जिन्हें 2 साल के लिए चुना जाता है।

भारत अपनी स्थापना के समय से ही यूएनएससी का हिस्सा रहा है और इसने विभिन्न अवसरों पर काफी योगदान दिया है। हालांकि भारत को यूएनएससी में एक परमानेंट सीट देने का सवाल अब भी है।

एक दशक से अधिक समय से इस मुद्दे पर बहस चल रही है। कुछ देश भारत को परमानेंट सदस्य बनाने का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ देश इसका विरोध कर रहे हैं। एक दशक पहले तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने अपनी पहली भारत यात्रा के दौरान इस बात का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि वह किस तरह आगे सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत का समर्थन करने के लिए देखते हैं।

G4 नेशंस एक ऐसा समूह है, जो मुख्य रूप से UNSC में स्थायी सीट हासिल करने के मकसद से बनाया गया था। 2005 में गठित इस समूह में ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान जैसे व्यापक रूप से ज्ञात देश शामिल हैं, जो आज की दुनिया में प्रमुख आर्थिक शक्तियां हैं और स्थायी सीट के लिए एक-दूसरे का समर्थन करते हैं। G4 के सदस्यों ने सुरक्षा परिषद में 10 वर्षों से अधिक समय तक राजनीतिक, आर्थिक या सामाजिक संरचना में अत्यधिक सेवा की है और सुधार के अपने एजेंडे को जारी रखा है।

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