प्रवास के लिए दशकों से अमेरिका और ब्रिटेन भारतीयों की नजरों पर शीर्ष पर रहे हैं। लेकिन अमेरिका की आव्रजन नीतियां अनुकूल होती न देख भारतीयों ने ऐसे देश भी तलाशने शुरू कर दिए हैं जहां उनका रहने और काम के लिए स्वागत किया जाए। यानी जहां नीतियों में वो छूट हों जो अमेरिका और ब्रिटेन नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे में दुनिया को पिज्जा और पास्ता देने वाला इटली भारतीयों की नजरों पर चढ़ा हुआ है। इसकी प्रमुख वजह इटली प्रशासन द्वारा इटालियन आप्रवास नीतियों में किए गए बदलाव बताए जा रहे हैं।
आंकड़े बताते हैं कि इटली में आप्रवासियों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ रही है। अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर स्थित इमिग्रेशन लॉ फर्म डेविस एंड एसोसिएट्स एलएलसी ने एक न्यूज वेबसाइट को बताया कि अमेरिका में बसे भारतीयों की ओर से काफी संख्या में वन यूरो होम्स के बारे में पूछताछ आ रही हैं। दरअसल इटली की सुपरबोनस योजना और वन यूरो होम्स ने भारतीयों के बीच दिलचस्पी पैदा कर दी है। यही वजह है कि साल 2019 में भारतीयों को 1,60,000 इटली रेजिडेंसी परमिट जारी किए गए थे। यह दुनिया में पांचवे नंबर पर सबसे अधिक थे। साल 2020 में इटली यूरोप में भारतीयों की आबादी वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बना। साल 2020 में इटली में लगभग 2 लाख भारतीय थे।