रामकथा से भी हो रहा हिंदी भाषा का प्रसार, दुनिया को बता रहा मॉरीशस
भगवान श्रीराम की जन्मभूमि भारत से हजारों मील दूर उनके भक्त रामकथा का मंचन करके और उनके संदेश का प्रचार करने में जुटे हैं। वे रामायण में केवल जीवन जीने का मर्म ही नहीं ढूंढ रहे बल्कि उन्हें ऐसा लगता है कि रामकथा के वाचन से दुनियाभर में हिंदी के प्रसार में भी मदद मिली है। ऐसा मानना है मॉरीशस में मौजूद विश्व हिंदी सचिवालय का, जिसने हाल ही में रामकथा का आयोजन कराया था।
मॉरीशस में रामायण पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है। आयोजक विश्व हिंदी सचिवालय ने इसका विषय 'हिंदी के वैश्विक प्रसार में रामकथा का योगदान' रखा। हारमोनियम, तबला, वॉयलिन, सितार और मंजीरे की धुन पर जब रामायण का वाचन किया जा रहा था तो सभागार में मौजूद लोग भक्तिरस में डूबते नजर आए।
World Hindi Secretariat, Mauritius organized an International Seminar on 'Contribution of Ramkatha in the global promotion of Hindi'.
— India in Mauritius (@HCI_PortLouis) May 11, 2022
Minister of Arts and Cultural Heritage, Hon. Avinash Teeluck and AHC Janesh Kain participated in the event and addressed the gathering. pic.twitter.com/CKeThLnp6R
रामकथा वाचन में बुजुर्ग महिलओं, युवतियों औऱ यहां तक कि 9-10 साल के बच्चों ने भी उत्साह से भाग लिया। इस मंचन ने यह जाहिर किया कि मॉरीशस का हिंदू समुदाय भारत से दूर रहकर भी अपने धर्म और संस्कृति को लेकर नई पीढ़ी को जागरूक कर रहा है। हिंदी सचिवालय को इस कार्यक्रम में रामायण सेवा सदन और रामायण सेंटर का साथ मिला था। कार्यक्रम में मॉरीशस के कला व संस्कृति धरोहर मंत्री अविनाश तिलक और भारत के उच्चायोग अधिकारी जनेश केन ने भी शिरकत की।
भारतीय उच्चायोग ने कार्यक्रम की तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस ने हिंदी के वैश्विक प्रचार में रामकथा के योगदान पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कला व संस्कृति धरोहर मंत्री अविनाश तिलक और एएचएसी जनेश केन शामिल हुए और और लोगों को संबोधित किया।'
विश्व हिंदी सचिवालय की भूमिका
जब बात हिंदी के प्रसार की हो रही हो तो फिर विश्व हिंदी सचिवालय की भूमिका पर रोशनी डालने की जरूरत है। विश्व हिंदी सचिवालय उन देशों और क्षेत्रों का अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जहां हिंदी प्राथमिक और कामकाज की भाषा है, जहां बड़ी संख्या में लोग हिंदी में बात करते हैं। यह संस्था हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रचारित करने के साथ ही संयुक्त राष्ट्र में इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने की दिशा प्रयास कर रहा है। इस संस्था की स्थापना 1999 में भारत और मॉरीशस के प्रयास से हुई थी।