भारतीयों के लिए इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेशी मुद्रा में खर्च करना अब महंगा होने वाला है। भारतीय रिजर्व बैंक ने नए नोटिफिकेशन में बताया है कि विदेश में ऐसे खर्च पर अब 20 प्रतिशत का टीसीएस यानी टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स लगेगा। इसका सीधा सा मतलब ये है कि अगर भारतीय छुट्टियों में या अन्य वजहों से विदेश जाएंगे और वहां पर क्रेडिट कार्ड से खर्च करेंगे तो उस पर 20 फीसदी टैक्स कटेगा। नया नियम 1 जुलाई से लागू होगा।
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने लिबरालाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) का दायरा बढ़ाते हुए इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड को भी उसके दायरे में ला दिया है। इस साल के आम बजट में विदेशी टूर पैकेज और LRS के TCS रेट में बढ़ोतरी की गई थी। इसके तहत TCS दरों को 5 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया था। हालांकि पढ़ाई और मेडिकल खर्चों को इससे अलग रखा गया था।
एलआरएस के तहत भारतीय एक साल के अंदर ढाई लाख अमेरिकी डॉलर तक की रकम आरबीआई को बिना बताए विदेश भेज सकते हैं। उससे ज्यादा की राशि के लिए मंजूरी लेनी होती है। अब तक विदेश यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से किया गया खर्च एलआरएस के दायरे में नहीं आता था। अब वित्त मंत्रालय ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन नियम (FEMA), 2000 की धारा सात को हटा दिया है। क्रेडिट कार्ड का पेमेंट भी एलआरएस के दायरे में आ गया है।
इसका मतलब ये है कि भारतीयों को विदेश में क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करने, होटल बुकिंग करने जैसी चीजों पर 20 प्रतिशत का टीसीएस देना होगा। अभी इसकी दर 5 प्रतिशत है। जुलाई से इसकी दर बढ़ जाएगी। विदेश में क्रेडिट कार्ड से कोई सामान खरीदने या सेवाएं लेने पर पेमेंट के समय ही क्रेडिट कार्ड वाला बैंक या मर्चेंट इस टैक्स को काट लेगा और सरकार के खाते में जमा कराएगा।
अगर कोई टैक्स के दायरे में नहीं आता तो 20 प्रतिशत टीसीएस को क्लेम भी कर सकता है। यह क्लेम टैक्स स्लैब के हिसाब से करना होगा। ऐसे लोग अपना आयकर रिटर्न दाखिल करते समय टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकते हैं। भुगतान की गई टीसीएस की रकम को उसके अंतिम टैक्स देनदारी में एडजस्ट किया जा सकता है।
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