इंग्लैंड गुरुद्वारा मसला: मसले को फिलहाल तूल नहीं देना चाहता है भारत
संतोष
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इंग्लैंड में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दुरईस्वामी को स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में एक गुरुद्धारे में प्रवेश करने से रोकने संबंधी मामले को तूल नहीं देने का निर्णय किया है। यही वजह है कि इस मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि भारत ने इंग्लैंड से अपनी अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए अपने सभी राजनयिको के लिए इंग्लैंड में संपूर्ण सुरक्षा की मांग की है।
Press Release on the incident at Glasgow Gurudwara Saheb.@MEAIndia @PTI_News @ANI @VDoraiswami @sujitjoyghosh pic.twitter.com/MZhpV3eSLP
— India in the UK (@HCI_London) September 30, 2023
इंग्लैंड में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दुरईस्वामी को उस समय ग्लास्गो के एक गुरुद्धारे मे जाने से रोक दिया गया। जब वह एक स्थानीय समूह की ओर से आमंत्रित किये जाने के बाद वहां पहुंचे थे। दो युवकों ने उनको गुरूद्धारे में जाने से रोका और उनके गुरुद्धारे में प्रवेश को लेकर आपत्ति जाहिर की। इसके बाद विक्रम दुरईस्वामी वहां से वापस चले गए। हालांकि इस बीच उनको आमंत्रित करने वाले समूह ने उन युवकों को एक किनारे करते हुए विक्रम दुरईस्वामी को अपने साथ गुरूद्धारे जाने की अपील भी की।
यह कहा जा रहा है कि भारत ने इस मामले को फिलहाल इसलिए तूल नहीं देने का निर्णय किया है क्योंकि इस समय उसका सिख खालिस्तानियों को लेकर कनाडा के साथ भी विवाद चल रहा है।कनाडा ने अपने यहां हुई एक हत्या का ठीकरा भारत पर फोड़ने का काम किया है। जिसका भारत ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा है कि कानून—व्यवस्था किसी भी देश का अपना मामला होता है। अगर कनाडा के पास कोई सबूत है तो वह भारत को सौंपे. भारत के कड़े रूख के बाद कनाडा ने अपने रूख में नरमी दिखाई है।
यह माना जा रहा है कि ऐसे समय में इंग्लैंड के साथ इस मामले को उठाते हुए तूल देने से भारत बचना चाहता है। इसकी वजह यह है कि कुछ युवकों की ओर से की गई इस घटना को अगर वह चरमपंथियों से जोड़ता है और इंग्लैंड पर यह दबाव बनाता है कि वह खालिस्तानियों पर कार्रवाई करे तो संभव है कि इंग्लैंड और कनाडा इस मुददे पर एक हो जाएं। इससे भारत के हाथ कुछ नहीं आएगा। इसके विपरीत उसकी कूटनीतिक समस्या और बढ़ जाएगी। भारत नहीं चाहता है कि इन उपद्रवियों को बड़ा मुददा बनाकर वह बे—वजह भारत के एक समुदाय विशेष के खिलाफ विभिन्न देशों पर दबाव बनाने के आरोपों के घेरे में आए। वह खालिस्तानियों को भारत के खिलाफ माहौल बनाने का अवसर प्रदान करे. यही वजह है कि उसने इस मामले में फिलहाल धीमी गति से चलने का निर्णय किया है।