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रामानुजन की याद में इंडियास्पोरा और अगस्त्य फाउंडेशन करेगा MIT में कार्यक्रम

रामानुजन का जन्म भारत के तमिलनाडु राज्य के इरोड में हुआ था। 1920 में जब उनका देहांत हुआ था, वह केवल 32 वर्ष के थे। लेकिन इतने कम समय में ही उन्होंने गणित के ऐसे सूत्र विश्व को दिए, जिनकी आज तक प्रशंसा होती है।

अगस्त्य फाउंडेशन और इंडियास्पोरा ने प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की याद में 20 अप्रैल को मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में विशेष कार्यक्रम का आयोजन करेंगे। दिन भर चलने वाले इस कार्यक्रम की शुरुआत एमआईटी के गणित विभाग में मूर्तिकार जयप्रकाश शिरगांवकर द्वारा बनाई गई रामानुजन की कांस्य प्रतिमा का फीता काटकर उद्घाटन के साथ होगी। इस प्रतिमा को अगस्त्य फाउंडेशन ने पिछले साल विश्वविद्यालय को दान किया था।

रामानुजन ने गणित के ऐसे सूत्र विश्व को दिए, जिनकी आज तक प्रशंसा होती है। (Wikipedia photo)

इसके बाद दोपहर के समय उपस्थित लोगों को एमआईटी में दक्षिण एशियाई इतिहास से जुड़ी एक परियोजना का भ्रमण कराया जाएगा। इसका उद्देश्य दक्षिण एशियाई और शिक्षाविदों के बीच गहरे संबंध को प्रदर्शित करना है। शाम के कार्यक्रम की खासियत तीन सामुदायिक नेता होंगे। ये हैं- वर्टेक्स फार्मास्यूटिकल्स की सीईओ व अध्यक्ष डॉ. रेशमा केवलरमानी, पनेरा ब्रेड के सीईओ निरेन चौधरी और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर डॉ. तरुण खन्ना होंगे। डॉ. खन्ना हार्वर्ड विश्वविद्यालय के लक्ष्मी मित्तल एंड फैमिली दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक भी हैं।

रामानुजन का जन्म भारत के तमिलनाडु राज्य के इरोड में हुआ था। 1920 में जब उनका देहांत हुआ था, वह केवल 32 वर्ष के थे। लेकिन इतने कम समय में ही उन्होंने गणित के ऐसे सूत्र विश्व को दिए, जिनकी आज तक प्रशंसा होती है। रामानुजन तमिलनाडु के कुंभकोणम में एक कमरे के घर में पले बढ़े। इस कमरे में वह परिवार के पांच सदस्यों के साथ रहते थे। उन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की, लेकिन गणित की जटिल प्रमेयों को सिद्ध करके दुनिया को चकित कर दिया।

एमआईटी में रामानुजन की प्रतिमा का अनावरण भी किया जाएगा।

रामानुजन के गांव या उनके राज्य में कोई भी उनके काम को समझ नहीं पाया। तब युवा रामानुजन ने इंग्लैंड में विभिन्न कॉलेजों के प्रोफेसरों को पत्र लिखकर अपनी खोजों के बारे में बताना शुरू कर दिया। उस दौरान मद्रास में काम कर रहे एक सिविल इंजीनियर सर फ्रांसिस स्प्रिंग को रामानुजन की प्रतिभा को दुनिया के सामने लाने का श्रेय दिया जाता है। रामानुजन उन्हीं के कार्यालय में क्लर्क का काम किया करते थे। स्प्रिंग ने रामानुजन के कार्यों के बारे में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के जीएच हार्डी को सूचित किया और इस प्रकार दुनिया को एक महान गणितज्ञ के बारे में जानकारी मिली।

रामानुजन के जीवन पर आधारित एक फिल्म भी बनी है, "द मैन हू नो इन्फिनिटी", वर्ष 2016 में इस फिल्म के पूर्वावलोकन के दौरान प्रिंसटन के गणितज्ञ मंजुल भार्गव ने कहा था कि रामानुजन एक ही दिन में इतने अधिक प्रमेय सिद्ध कर देते थे, जिन्हें सिद्ध करने में हममें से कई लोगों को एक वर्ष तक लग जाता था।

अगस्त्य फाउंडेशन की स्थापना 2009 में पूर्व बैंकर रामजी राघवन ने की थी। उन्होंने इसे भारत के गांवों में रहने वाले बच्चों को इंटरैक्टिव मोबाइल वैन के माध्यम से विज्ञान की जानकारी देने के उद्देश्य से बनाया था। उन्होंने बताया कि  जवाहरलाल नेहरू की "डिस्कवरी ऑफ इंडिया" पढ़ते हुए उन्हें पहली बार रामानुजन में दिलचस्पी हुई। 1989 में मद्रास की यात्रा के दौरान राघवन की मुलाकात रामानुजन की विधवा जानकी से हुई।

इस मुलाकात के बारे में जानकारी देते हुए राघवन ने बताया था कि वह 90 साल की कमजोर सी महिला दिख रही थीं, लेकिन उनकी आंखों में अलग ही चमक थी। उन्हें सुनने में भी दिक्कत होती थी। चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान के साथ उन्होंने मेरा स्वागत किया। हमने छोटे से कमरे में बैठकर लगभग एक घंटे तक बात की। वहां पर पॉल ग्रैनलुंड द्वारा निर्मित रामानुजन की एक आकर्षक आवक्ष प्रतिमा लगी थी। यह प्रतिमा अंतरराष्ट्रीय गणितज्ञों के एक समूह ने उपहार में दी थी।

राघवन के अनुसार मिसेज रामानुजन तमिल में अपने पति के बारे में इस तरह बात कर रही थीं, जैसे कि उनके पति हाल ही में स्वर्ग सिधारे हों। उन्होंने बताया कि रामानुजन के लिए केवल एक चीज मायने रखती थी, और वह थी- संख्या, संख्या और संख्या। जानकी रामानुजन का मानना था कि दुनिया ने उनके पति को भुला दिया है। राघवन के अलावा इंग्लैंड के एक गणित शिक्षक ही पिछले कुछ समय में उनसे मुलाकात करने आए थे।

राघवन ने बताया कि मिसेज रामानुजन से मुलाकात के आखिर में मैंने उन्हें एक पारंपरिक उपहार भी दिया, जिसमें एक साड़ी और कुछ फल थे। मैंने झुककर धीरे से उनका हाथ थामा और कहा कि वह कितनी भाग्यशाली हैं कि उन्हें ऐसे पति का साथ मिला, जो भारत के सबसे महान नायकों में एक थे। इस पूरी घटना को राघवन जब बता रहे थे, उनके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान तैर रह थी। चेहरा चमक रहा था।

अगस्त्य फाउंडेशन ने 2010 में रामानुजन को उनके संस्थान में यादगार बनाने के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय को उनकी आवक्ष प्रतिमा दान की थी। अगस्त्य फाउंडेशन ने बैंगलोर में टीआईएफआर के सेंटर फॉर एप्लीक्युलेशन मैथमेटिक्स और आईआईटी मद्रास को भी रामानुजन की एक आवक्ष प्रतिमा उपहार में दी है।

इंडियास्पोरा के संस्थापक एमआर रंगास्वामी ने न्यू इंडिया अब्रॉड को बताया, "भारतीय गणितज्ञ एक अमिट विरासत के साक्षी रहे हैं। उन्होंने दशमलव प्रणाली, शून्य और बीजगणित जैसी कुछ महत्वपूर्ण गणितीय अवधारणाओं का विकास किया है। उन्होंने कहा, "STEAM शिक्षा यानी विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, कला और गणित पर काफी चर्चा होती है, ऐसे में हमने सोचा कि क्यों न रामानुजन की विरासत को प्रदर्शित करके उनके योगदान को सम्मान दिया जाए. यह कार्यक्रम उसी दिशा में एक प्रयास है।

रंगास्वामी ने बताया कि अभी तक  दो भारतीय अमेरिकियों को प्रतिष्ठित फील्ड्स मेडल से सम्मानित किया गया है। इसे अक्सर नोबेल पुरस्कार के बराबर माना जाता है। भार्गव को 2014 में यह सम्मान मिला था। दूसरे व्यक्ति इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडी के अक्षय वेंकटेश हैं, जिन्हें 2018 में यह सम्मान प्रदान किया गया था। रंगास्वामी ने कहा 'रामानुजन का अगर इतनी कम उम्र में निधन नहीं हुआ होता तो निश्चित तौर पर उन्हें भी यह पुरस्कार मिलता।

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