भारतीय अर्थव्यवस्था मारेगी छलांग, लोगों की पॉकेट का बढ़ेगा वजन

अभी कुछ दिनों पहले वैश्विक निवेश बैंक मॉर्गन स्टेनली ने  'वॉय दिस इज इंडियाज डिकेड' शीर्षक से जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि 2030 तक भारत, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। विश्व की कई एजेंसियां भारत के बारे में ऐसी ही रिपोर्ट प्रकाशित कर रही हैं। इन रिपोर्ट से साफ निष्कर्ष निकलता है कि अगर भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत होती है तो इसका मतलब है कि भारतीय नागरिकों की कमाई भी बढ़ेगी। इसी बात की पुष्टि स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की एक शोध रिपोर्ट से होती है।

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की प्रति व्यक्ति आय 2030 तक लगभग 70% बढ़ सकती है। यह 2,450 डॉलर के मौजूदा स्तर से 4,000 डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। शोध में कहा गया है कि आय में बढ़ोतरी से देश को 6 ट्रिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिलेगी और इसका आधा हिस्सा घरेलू खपत से आएगा। प्रति व्यक्ति आय 2011 में 460 डॉलर से बढ़कर 1,413 डॉलर और 2021 में यह 2,150 डॉलर हो गई ।

भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ने के विभिन्न फैक्टर की बात करें तो आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाला अहम कारक अन्य देशों से व्यापार होगा, जो 2030 तक लगभग दोगुना होकर 2.1 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है। यह वृद्धि वित्त वर्ष 2023 में दर्ज 1.2 ट्रिलियन डॉलर से जबर्दस्त उछाल लेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ 10 फीसदी रहेगी।

इसके अलावा रिपोर्ट से इस बात का संकेत मिलता है कि इस वृद्धि में दूसरा प्रमुख योगदानकर्ता घरेलू खपत होगी, जिसके वित्त वर्ष 2030 तक 3.4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2023 में घरेलू खपत 2.1 ट्रिलियन डॉलर है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार इसे लेकर अपनी प्रतिबद्धिता दिखा चुके हैं। पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था को उनके अगले कार्यकाल के दौरान शीर्ष 3 में रखा जाएगा और यह 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। वर्तमान में जापान संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है।

वर्तमान में भारत का तेलंगाना राज्य प्रति व्यक्ति आय रैंकिंग में 2,75,443 रुपये ( 3,360 डॉलर के बराबर) के साथ शीर्ष स्थान पर है। इसके बाद कर्नाटक (2,65,623 रुपये), तमिलनाडु (2,41,131 रुपये), केरल (2,30,601 रुपये) और आंध्र प्रदेश (2,07,771 रुपये) का स्थान है। हालांकि स्टैनसी की रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2030 तक इस रैंकिंग में बदलाव की भविष्यवाणी की गई है, जिसमें गुजरात को प्रति व्यक्ति आय में अग्रणी होने का अनुमान है।

वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद में तेलंगाना, दिल्ली, कर्नाटक, हरियाणा, गुजरात और आंध्र प्रदेश का संयुक्त योगदान 20% है। वित्त वर्ष 2030 तक इन राज्यों को 6,000  डॉलर की प्रति व्यक्ति आय प्राप्त होने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों में वित्त वर्ष 2023 तक प्रति व्यक्ति आय 2,000 डॉलर से कम होगी, जो अभी भी उनके मौजूदा स्तर से दोगुना है।

अर्थव्यवस्था के विकास के पीछे मुख्य प्रेरक कामकाजी उम्र की आबादी का बढ़ता अनुपात बनी रहेगी। 2020 में देश में कामकाजी आयु के व्यक्तियों का हिस्सा कुल आबादी का 64.2% था। आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा थोड़ा बढ़कर 64.8% होने का अनुमान है।

हालांकि, वर्ष 2040 तक 63.6% तक मामूली गिरावट हो सकती है, और 2050 तक 61.1% तक नीचे आ सकती है। इस क्रमिक कमी के बावजूद, कामकाजी उम्र की आबादी अभी भी देश के आर्थिक विकास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।