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यूक्रेन युद्ध: भारत लौटे भारतीय छात्र रूस में अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं

रूसी फेडरेशन के काउंसलर और तिरुवनंतपुरम में रूसी सदन के निदेशक रथीश सी नायर ने उन छात्रों को सूचित किया, जिनके पास छात्रवृत्ति थी कि यह संभव है कि उनकी छात्रवृत्ति रूसी विश्वविद्यालयों में भी लागू होगी। यूक्रेन युद्ध से जान बचाकर करीब 20 हजार छात्र वापस भारत आए हैं।

Photo by Max Kukurudziak / Unsplash

रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर यूक्रेन से वापस लौटे भारतीय छात्रों के लिए राहत भरी खबर है। नई दिल्ली में मौजूद रूसी दूतावास के मिशन के उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने कहा है कि यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। इन छात्रों को अध्ययन के लिए रूस आमंत्रित किया जाएगा। खास बात यह है कि रूसी विश्वविद्यालयों में उनके पिछले शैक्षणिक वर्षों का नुकसान किए ​बिना ही दाखिला लिया जाएगा।

उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने कहा कि छात्र वहीं से अपना पढ़ाई शुरू कर सकते हैं, जहां से उन्होंने अपने संबंधित पाठ्यक्रम छोड़े हैं।

उप प्रमुख रोमन बाबुश्किन ने यह बयान 24 फरवरी को शुरू हुए रूसी आक्रमण के बाद यूक्रेन से जान बचाकर भारत आए 20,000 भारतीय छात्रों के भाग्य के बारे में पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब के रूप में आया है। उन्होंने कहा कि छात्र वहीं से अपनी पढ़ाई शुरू कर सकते हैं, जहां से उन्होंने अपने संबंधित पाठ्यक्रम छोड़े हैं।

अपने बयान में यह भी बताया कि रूसी फेडरेशन के काउंसलर और तिरुवनंतपुरम में रूसी सदन के निदेशक रथीश सी नायर ने उन छात्रों को सूचित किया, जिनके पास छात्रवृत्ति थी। यह संभव है कि उनकी छात्रवृत्ति रूसी विश्वविद्यालयों में भी लागू होगी। युद्ध से संबंधित सवालों का जवाब देते हुए बाबुश्किन ने दावा किया कि रूसी प्रशासन के फैसले उचित थे क्योंकि यूक्रेनी शासन नियो-नाजियों की रक्षा कर रहा था।

उन्होंने कहा कि यह रूस के लिए एक लक्ष्मण रेखा की तरह था जिसकी लाल रेखा को पश्चिम ने पार कर दिया था। उन्होंने अमेरिका पर युद्ध को लंबा खींचने का भी आरोप लगाया है। बाबुश्किन ने कहा कि अमेरिका की रक्षा कंपनियां यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करके खुद को आर्थिक रूप से लाभान्वित कर रही हैं।

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