भारतीय शेयर बाजार ने इस देश को पछाड़ हासिल किया अपना खोया स्थान

भारतीय शेयर बाजार ने एक बार फिर अपना गौरव हासिल कर लिया है। भारत ने जनवरी में पांचवें सबसे बड़े शेयर बाजार का दर्जा गंवा दिया था। तब फ्रांस दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा शेयर बाजार बन गया था। लेकिन अडानी ग्रुप के शेयरों में मजबूत रिकवरी के बाद भारत ने फिर से अपनी मजबूत स्थिति हासिल कर ली है। इसके अलावा विदेशी फंड हाउस अपना पैसा चीन से निकालकर भारत में लगा रहे हैं। इसका भी फायदा भारतीय शेयर बाजार को देखने को मिला है।

भारत का बाजार पूंजीकरण शुक्रवार तक 3.3 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच गया। अमेरिका और चीन में सुस्ती की आशंका के चलते फ्रांस के शेयर बाजार पूंजीकरण में पिछले हफ्ते 100 अरब डॉलर से ज्यादा की कमी देखने को मिली। बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका 44.54 ट्रिलियन डालर के बाजार पूंजीकरण के साथ दुनिया का सबसे बड़ा शेयर बाजार बना हुआ है। इसके बाद चीन (10.26 ट्रिलियन डालर), जापान (5.68 ट्रिलियन डालर) और हांगकांग 5.14 ट्रिलियन डॉलर के साथ चौथे नंबर पर है।

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जानकारों का कहना है कि अडानी ग्रुप के शेयरों में तेजी लौटने से भारतीय शेयर बाजार को मजबूती मिली है। अडानी की सभी 10 लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैप में पिछले हफ्ते 15 अरब डॉलर का उछाल देखने को मिला। मार्च के मध्य में थोड़े समय के लिए गिरावट का सामना करने वाले बीएसई सेंसेक्स में 9 फीसदी से ज्यादा उछाल देखने को मिला है।

वहीं, भारत के नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के अनुसार विदेशी निवेशकों ने मई में अब तक 4.5 अरब डॉलर के शेयर खरीदे हैं, जो पिछले महीने की तुलना में दो गुना से थोड़ा अधिक है। भारतीय कंपनियों के मजबूत तिमाही नतीजे और उच्च विकास दर की वजह से विदेशी निवेशक भारतीय स्टॉक मार्केट पर भरोसा जता रहे हैं।

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चीन की सख्त कोविड-19 नीतियों, इसके रियल एस्टेट उद्योग में उथल-पुथल और चीन की तकनीकी फर्मों के खिलाफ अविश्वास की लहर ने चीन में विदेशी निवेशकों के कदमों को भारत की तरफ आने के लिए मजबूर कर दिया है।

मोबियस कैपिटल पार्टनर्स के संस्थापक और बाजार विशेषज्ञ मार्क मोबियस भारत को एक शानदार विकल्प के रूप में देखते हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले जेफरीज फाइनेंशियल ग्रुप के स्ट्रैटेजिस्ट क्रिस्टोफर वुड ने जापान को छोड़कर अपने एशिया पैसिफिक पोर्टफोलियो में भारतीय शेयरों की तरफ रुझान दिखाया था।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। लेकिन भारत के सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त एक पैनल को अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई दम नजर नहीं आया। अडानी स्टॉक की कीमत में हेरफेर का कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला।

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