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अंतरिक्ष में इसलिए चक्कर लगा रहीं भारतीय मूल की कलाकार की कृतियां

लक्ष्मी नेशनल एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग इनोवेशन क्लस्टर (नामिक) के सहयोग से वह पिछले दो वर्षों से एक कला परियोजना पर काम कर रही हैं। लक्ष्मी कहती हैं कि मुझे हमेशा लगा कि मेरी कलाकृति में दुनिया के लिए एक संदेश है।

कारोबार हो या कला, या फिर विज्ञान और तकनीक। दुनिया में भारतीय मूल के लोग हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं। धरती से लेकर आकाश तक भारतीय कौशल की छाप नजर आती है। इन्हीं में से एक हैं लक्ष्मी मोहनबाबू। सिंगापुर में भारतीय मूल की कलाकार लक्ष्मी मोहनबाबू की डिजाइन की गई दो कलाकृतियां पूरी दुनिया के चक्कर काट रही हैं। अंतरराष्ट्रीय कलाकारों 64-पीस मून गैलरी संग्रह के हिस्से के रूप में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रही हैं। भारत के केरल में जन्मीं लक्ष्मी मोहनबाबू 2001 में दिल्ली से सिंगापुर गई थीं।

ये कलाकृतियां सोमवार को एक कार्गो क्राफ्ट पर अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचीं। अगले 10 महीनों तक यह अंतरिक्ष में ही रहेंगी। इसके माध्यम से वैज्ञानिक इस बात का पता लगाएंगे कि अंतरिक्ष के सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में कलाकृतियां कैसा प्रदर्शन करती हैं और इन पर क्या असर होता है। लक्ष्मी पिछले दो सालों से नेशनल एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग इनोवेशन क्लस्टर (नामिक) के सहयोग से एक कला परियोजना पर काम कर रही हैं। लक्ष्मी कहती हैं कि मुझे हमेशा लगा कि मेरी कलाकृति में दुनिया के लिए एक संदेश है। 3डी प्रिंटेड मेटल क्यूब की वजह से लक्ष्मी की बनाई दोनों कलाकृतियों में एक अद्वितीय पैटर्न नजर आता है। द स्ट्रेट्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार ये पैटर्न मानव जाति में एकता, विविधता और जटिलता की अवधारणाओं के आधार पर तैयार किए गए हैं।

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