कहते हैं कि झूठ की बुनियाद पर खड़ी इमारत ज्यादा दिनों से टिकती नहीं है। अमेरिका में कुछ ऐसा ही हुआ एलिजाबेथ होम्स और उनके भारतीय मूल के मित्र रमेश बलवानी के साथ। कभी टाइम मैगजीन ने होम्स को सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में जगह दी। थेरानोस की संस्थापक और सीईओ एलिजाबेथ होम्स अब निवेशकों से धोखाधड़ी के मामले में दोषी पाई गई हैं। इसी मामले में भारतीय मूल के कंपनी के पार्टनर और सीओओ रमेश सन्नी बलवानी के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई अगले महीने से शुरू हो जाएगी।
बलवानी, एलिजाबेथ होम्स के पुरुष मित्र थे। दोनों की मुलाकात तब हुई जब होम्स 18 वर्ष की थी और बलवानी 37 साल के थे। इसके बाद होम्स स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से ड्रॉप आउट हुई। 2003 में कॉलेज छोड़ने के बाद वह अमेरिका के कैलिफोर्निया पहुंच गईं। यहीं पर उन्होंने थेरानोस कंपनी की बुनियाद रखी। कुछ ही समय में थेरानोस 9 बिलियन डॉलर की कंपनी बन गई। जिस समय एलिजाबेथ होम्स लोकप्रियता के शिखर पर बैठकर बाकी दुनिया को चिढ़ा रही थीं, उस समय वॉल स्ट्रीट जर्नल उनकी बुनियाद खोदने में जुटा हुआ था। अक्टूबर 2015 में पत्रकार जॉन कैरिरू ने पहली स्टोरी पब्लिश की। और थेरानोस के कई राज खुलने लगे। मार्च 2018 में यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने होम्स, थेरानोस और होम्स के एक्स-पार्टनर रमेश बलवानी के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया। रमेश बलवानी 2009 में थेरानोस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) बने थे।