ब्रिटेन में खुद का एक धार्मिक संगठन और समाज के मुख्य पुजारी के रूप में प्रस्तुत करने वाले भारतीय मूल के गुरु ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में एक कानूनी लड़ाई हार गए हैं। 65 वर्षीय राजिंदर कालिया नाम के गुरु पर भक्तों ने यौन उत्पीड़न और मनोवैज्ञानिक तौर पर परेशान करने के आरोप लगाए थे जिसको लेकर लंबे वक्त से मामला चल रहा था। भक्तों ने हर्जाने की रकम मांगी थी जबकि गुरु ने हर्जाना निरस्त करने के लिए कहा था। गुरु के वकील का कहना था कि भक्तों के दावें गलत हैं ऐसे में वो हर्जाना नहीं देंगे। लेकिन गुरु द्वारा लंदन उच्च न्यायालय में हर्जाना निरस्त करने की मांग को खारिज कर दिया गया है।
राजिंदर कालिया 1986 से कोवेंट्री में एक पंजीकृत चैरिटी सोसाइटी के गुरु हैं और कहा जाता है कि उन्होंने खुद को एक पुजारी जैसी शख्सियत के रूप में चित्रित किया हुआ है, जो भगवान के साथ एक सीधा संबंध या बात करने की क्षमता वाली दिव्य शक्तियों से भरा है।
अदालती मामले में सात दावेदारों ने आरोप लगाया हुआ था कि कालिया ने 1987 के बाद से कई वर्षों तक उपदेशों और शिक्षाओं का इस्तेमाल करते हुए उनके कामों को अनुचित रूप से प्रभावित करने के लिए चमत्कार किए। भारत में वैसे इन्हें चमत्कार नहीं टोटका कहते हैं।
न्यायाधीश डिप्टी मास्टर रिचर्ड ग्रिमशॉ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में निर्धारित करने के लिए कई विचारणीय मुद्दे हैं। न्यायाधीश ने पाया कि मामले में सभी भारतीय मूल के दावेदारों के पास अपने-अपने दावों के साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। उदाहरण के तौर पर इस मामले में चार महिलाओं द्वारा यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनमें से तीन गुरु के स्थल पर उपस्थित रहती थीं या उस समुदाय का हिस्सा थीं।
बचाव पक्ष के वकील ने अदालत को बताया कि कालिया स्वीकार करता है कि वह मुख्य पुजारी या गुरु है लेकिन उसने गलत कामों के लिए लगे सभी आरोपों से इंकार किया है। कालिया के वकील ने यह भी कहा कि कुछ लोग कालिया से पैसे वसूलना चाहते हैं। बचाव पक्ष वकील ने कहा था कि यौन और शारीरिक शोषण के दावे बिना आधार के हैं। कालिया इस बात से भी इंकार करते हैं कि किसी को बिना वेतन दिए श्रम के लिए मजबूर किया गया।
बता दें कि गुरु ने मामले को खत्म करने के लिए पिछले साल अगस्त में आवेदन किया था कि दावे के विवरण अस्पष्ट, बोझिल और उन मुद्दों की पहचान करने में विफल हैं, जिन्हें दावेदार साबित करना चाहते हैं। न्यायाधीश ने अंततः निष्कर्ष निकाला कि भविष्य में कालिया की कानूनी टीम द्वारा नए सिरे से आवेदन किया जा सकता है लेकिन इस वक्त यह आदेश देना कि वह गुनहगार है यह ऐसे समय से पहले कहना अन्यायपूर्ण होगा।