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भारत-पाक के बीच रिश्तों में जमी बर्फ को पिघला पाएगा सिंधु?

सिंधु नदी जल बंटवारा 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक ने मध्यस्थता से हुई थी। इस संधि पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने दस्तखत किए थे।

Photo by Godwin Angeline Benjo / Unsplash

दस सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल स्थायी सिंधु आयोग की सालाना बैठक के लिए 1-3 मार्च को पाकिस्तान का दौरा करेगा। दोनों देशों के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर के बाद पहली बार तीन महिला अधिकारी भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगी, जो बैठक के दौरान विभिन्न मुद्दों पर भारतीय आयुक्त को सलाह देंगी। पिछले साल पाकिस्तान के सिंधु जल आयुक्त के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल सालाना बैठक के लिए भारत आया था। भारत के सिंधु जल आयुक्त प्रदीप कुमार सक्सेना ने बताया कि इस्लामाबाद में बैठक के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल 28 फरवरी को अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान के लिए रवाना होगा और चार मार्च को लौटेगा।

दरअसल, 2019 में भारत में पुलवामा हमले के बाद पिछले साल जब सिंधु नदी को लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू हुई तो इसे नई शुरुआत माना गया। हालांकि समझौते के तहत दोनों देशों को साल में एक बार मीटिंग करनी होती है- एक साल भारत में तो दूसरे साल पाकिस्तान में। लेकिन इस बीच पाकिस्तान इस मुद्दे को लेकर विश्व बैंक के पास पहुंच गया था। पर उसकी यह चाल कामयाब नहीं हुई। साल 2020 के अगस्त महीने में विश्व बैंक ने पाकिस्तान को तगड़ा झटका देते हुए इस विवाद में दोबारा मध्यस्थता करने से इनकार कर दिया था।

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