भारत-चीन सीमा पर संघर्ष के बाद पहली बार बीजिंग में वार्ता, ये निकला नतीजा
भारत और चीन के अधिकारियों के बीच सीमा विवाद को लेकर बुधवार को बीजिंग में बैठक हुई। मई 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिकों के बीच खूनी झड़प के बाद ये पहला मौका है, जब दोनों देशों के अधिकारियों ने बीजिंग में राजनयिक वार्ता की है। खबरों के अनुसार बैठक में भारत ने संबंधों को सामान्य बनाने पर मोर्चे पर सैनिकों का आमना-सामना खत्म करने पर जोर दिया।
#India and #China hold the 26th meeting of Working Mechanism for Consultation & Coordination on India-China Border Affairs (WMCC) in person in #Beijing. This was the first WMCC meeting since the 14th meeting held in July 2019, to be held in person.https://t.co/XMVgi70Jb5
— Prasar Bharati, Beijing (@PBSC_Beijing) February 22, 2023
यह बैठक भारत-चीन सीमा मामलों पर वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कन्सल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन (WMCC) के तत्वावधान में हुई। जुलाई 2019 में इसके गठन के बाद से 14 बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन पहली बार आमने सामने की बैठक हुई। वार्ता के दौरान हालांकि सीमा पर सैनिकों की मोर्चाबंदी खत्म करने को लेकर फिलहाल कोई सहमति बनने की जानकारी नहीं मिली है।
बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि बैठक में एलएसी के पश्चिमी सेक्टर के आसपास के हालात की समीक्षा की गई। इसके अलावा बाकी इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने के प्रस्ताव पर खुले और रचनात्मक तरीके से बात हुई। सैनिकों की इस तरह की वापसी से पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर शांति बहाली में मदद मिलेगी और द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने की परिस्थितियां बन सकेंगी।
बयान में कहा गया कि इस उद्देश्य की प्राप्ति कि लिए मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार वरिष्ठ कमांडरों की बैठक का अगला (18वें) दौर जल्द आयोजित करने पर सहमति बनी है। दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक चैनलों के जरिए चर्चा जारी रखने पर सहमत हुए हैं।
बता दें कि पिछले तीन वर्षों में दो दर्जन से अधिक दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के बाद भारत और चीन ने पैंगोंग झील के दो किनारों, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स से सैनिकों को हटा लिया है। हालांकि देपसांग और डेमचोक जैसी जगहों से सैनिकों की वापसी पर आम सहमति नहीं बन पा रही है।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन के ऊपर एलएसी पर सैनिकों को इकट्ठा करके सीमा समझौतों का उल्लंघन करने का आरोप लगा चुके हैं। वह यह भी स्पष्ट कह चुके हैं कि द्विपक्षीय संबंधों का सामान्य होना सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन-चैन कायम होने पर निर्भर है। वहीं दूसरी ओर चीन ने अन्य संबंधों के रास्ते में सीमा गतिरोध को आड़े न आने देने का आह्वान करता रहा है।